परम्पराएँ,पूजा-पद्धतियाँ भी विरासत में मिल जाती हैं।@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंदजी महाराज।🪷🚩🙏ॐ YATHARTH VIKRAM 5,43 тыс. подписчиков Скачать
परम्पराएँ,पूजा-पद्धतियाँ भी विरासत में मिल जाती हैं।@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंदजी महाराज।🪷🚩🙏ॐ Скачать
साधन अपनानेवाले प्रत्येक पुरुष को इसी परिधि से गुजरना होगा।@यथार्थगीता#स्वामीश्रीअड़गड़ानंदजी।🪷🚩🙏ॐ Скачать
गीता उपदेश के समय श्रीकृष्ण के मनोगत भाव क्या थे ? @यथार्थगीता #स्वामीश्रीअड़गड़ानंदजी महाराज। 🪷🚩🙏ॐ Скачать
सद्गुरु तब पहचान में आते हैं जब भगवान स्वयं परिचय दे दें।#स्वामीश्रीअड़गड़ानंदजी महाराज। 🪷🚩🙏ॐ Скачать
देवताओं को पूजनेवाल भी आसुरी वृत्ति के अन्तर्गत हैं।@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंदजी महाराज।🪷🚩🙏ॐ Скачать
यज्ञ न करनेवालों को दुबारा मनुष्य-शरीर भी नहीं मिलता।@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंदजी महाराज 🪷🚩🙏ॐ Скачать
ईश्वर सभी प्राणियों के हृदय-देश में निवास करता है।@यथार्थगीता#स्वामीश्रीअड़गड़ानंदजी महाराज।🪷🙏🚩ॐ Скачать
उस गायन में उन महायोगेश्वर ने क्या जपने के लिए कहा ?@यथार्थगीता #स्वामीश्रीअड़गड़ानंदजी महाराज।🪷🚩🙏ॐ Скачать
हृदय में स्थित परमात्मा की प्राप्ति का विधान ही गीता में योगेश्वर श्रीकृष्ण ने बताया है।@यथार्थगीता। Скачать
भौतिक संसार में कभी शान्ति और सुख होता ही नहीं।@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंदजी महाराज।🪷🚩🙏ॐ Скачать
सामाजिक विकृतियों को महापुरुष सुलझाया करते हैं।@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंदजी महाराज।🪷🚩🙏ॐ Скачать
समस्त समाज को महापुरुषों ने रहन-सहन का विधान बताया और एक मर्यादित व्यवस्था दी।@यथार्थगीता।🪷🚩🙏ॐ Скачать
मूल मनुस्मृति गीता एक परमात्मा को ही सत्य मानती है।@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंदजी महाराज।🪷🚩🙏ॐ Скачать
वेद श्रुति हैं,इन्हें सुनें,किन्तु गीता स्मृति है,सदा स्मरण रखें।@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंदजी Скачать
गीता आपका आदि धर्मशास्त्र है। यही मनुस्मृति है।@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंदजी महाराज। 🪷🙏🚩ॐ Скачать
अर्जुन! क्या मोह से उत्पन्न तुम्हारा अज्ञान नष्ट हुआ?@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंदजी महाराज।🪷🙏🚩ॐ Скачать
श्रीकृष्ण के अनुसार ॐ का जप नितान्त आवश्यक है।@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंदजी महाराज। 🪷🙏🚩ॐ Скачать
संसार में यदि आपका कोई सच्चा हितैषी है तो सन्त ही।#यथार्थगीता#स्वामीश्रीअड़गड़ानंदजी महाराज। 🪷🙏🚩ॐ Скачать
सन्त सन्त हैं,उन्हें किसी सामाजिक संगठन में न समेटें@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंदजी महाराज।🪷🙏🚩ॐ Скачать
जो जन्म-मृत्यु,जरा-मरण, दुख-दोषों की परिधि में घूमाकर रखता है,वही पापकर्म है।@यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
इधर एक शरीर को छोड़ा, उधर दूसरे शरीर को धारण किया।@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंदजी महाराज। 🪷🙏🚩ॐ Скачать
किताब तो एक नुस्खा है। नुस्खा रटने से कोई निरोग नहीं होता बल्कि उसे अमल में लाना है@यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
रहन-सहन,मान्यता,लोकरीति-नीति में देश-काल और परिस्थितियों के अनुकूल परिवर्तन प्रकृति की देन है।🪷🙏🚩ॐ Скачать
स्वर्ग के भोग भी नश्वर हैं। उन्हें पुनः जन्म लेना पड़ेगा।@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंदजीमहाराज🪷🙏 Скачать
शूद्र,वैश्य,स्त्री-पुरुष कोई क्यों न हो, मेरी शरण आकर परमगति को प्राप्त होता है।@यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
योगभ्रष्ट होकर वह कहाँ जन्म लेता है? गृहस्थ ही तो बना। वहीं से वह साधनोन्मुख होता है@यथार्थगीता🪷🙏🚩ॐ Скачать
आप ही बतायें,थोड़ा साधन कौन करेगा-गृहस्थ अथवा विरक्त?@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंदजी महाराज।🪷🙏🚩ॐ Скачать
अर्जुन! सारे धर्मों की चिन्ता छोड़कर एक मेरी शरण में हो जा।@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंदजी।🪷🙏🚩ॐ Скачать
धर्म में प्रवेश किसको है? इसे करने का अधिकार किसे है?@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंदजी महाराज।🪷🙏🚩ॐ Скачать
निश्चित विधि से एक परमात्मा का चिन्तन ही धर्म है।@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंद जी महाराज।🪷🙏🚩ॐ Скачать
शूद्र- वैश्य- क्षत्रिय- ब्राह्मण, एक ही साधक की विभिन्न क्रमिक साधना-अवस्थाएँ हैं।@यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
इस कर्म को कार्यरूप देना ही धर्म है, दायित्व है।@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंद जी महाराज।🪷🙏🚩ॐ Скачать
इन प्रेरणास्थलियों से ही मूर्तिपूजा तथा रूढ़ियों ने धर्म का स्थान ग्रहण कर लिया।@यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
जो स्वरूप उनका है क्रमशः चलकर उसकी प्राप्ति हमारा भी अभीष्ट है और यही उनकी यथार्थ पूजा है@यथार्थगीता Скачать
महापुरुषों की स्मृति सँजोने के लिए मंदिर बने,स्मारक बने ताकि समाज उनके उपदेशों से अनुप्राणित हो सके। Скачать
कामनाओं से जिनके ज्ञान का अपहरण हो गया है,वे मूढ़बुद्धि ही अन्य देवताओं को पूजते हैं@यथार्थगीता🪷🙏🚩ॐ Скачать
जहाँ कहीं भी मनुष्य की श्रद्धा झुकती है उसकी ओट में खड़ा होकर मैं ही फल देता हूँ।@यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
अर्जुन!सांख्य द्वारा जो परम सत्य मिलता है,वही परम सत्य निष्काम कर्मयोग द्वारा भी मिलता है@यथार्थगीता Скачать
महापुरुष की नकल करके आराधना बन्द कर देने से वे प्रकृति में भटकते रहेंगे, वर्णसंकर हो जाएंगे।🪷🙏🚩ॐ Скачать
परमात्मा में प्रवेश दिलानेवाले कर्म से हटकर प्रकृति में मिश्रित हो जाना ही वर्णसंकर है@यथार्थगीता🪷🙏 Скачать
श्रीकृष्ण ने कहा चार वर्णों की सृष्टि मैनें की। क्या भारत से बाहर सृष्टि नहीं है?@यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
ऐसी स्थितिवाला अल्पज्ञ साधक शूद्र श्रेणी का है।@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंद जी महाराज। 🪷🙏🚩ॐ Скачать
शान्ति तभी मिलती है,जब यह आत्मा अपने शाश्वत को पा ले@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंदजी महाराज।🪷🙏🚩ॐ Скачать
यदि यज्ञ और कर्म,दो प्रश्न ही यथार्थ समझ लें तो संपूर्ण गीता ही हमारी समझ में आ जाए।@यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
यज्ञ की प्रक्रिया ही कर्म है। इसके अतिरिक्त दुनिया में जो कुछ किया जाता है,वह इसी लोक का बन्धन है🪷🙏 Скачать
यदि एक भी जन्म लेना पड़ा तो यात्रा पूरी कहाँ हुई?@यथार्थगीता,#स्वामी श्रीअड़गड़ानंद जी महाराज।🪷🙏🚩ॐ Скачать
अर्जुन! असत् वस्तु का तो अस्तित्व नहीं है,और सत् का तीनों कालों में अभाव नहीं है।@यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
अनन्तश्री विभूषित पूज्यश्री के मुख से - गीता का सारांश @यथार्थगीता#स्वामीश्रीअड़गड़ानंदजी महाराज🪷🙏🚩ॐ Скачать
मनुष्य को नहीं बल्कि गुणों के माध्यम से कर्म(आराधना,चिन्तन)को चार भागों में बाँटा गया@यथार्थगीता🪷🙏🚩ॐ Скачать
मनुष्यमात्र के द्वारा शास्त्र के अनुकूल अथवा प्रतिकूल कार्य होने में पांच कारण हैं- @यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
जिसके भी हृदय में परमात्मा को पाने का अनुराग उमड़ेगा, वही अर्जुन की श्रेणीवाला होगा@यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
ध्यान ही धनुष है। इन्द्रियों की दृढ़ता की गाण्डीव है।@यथार्थगीता #स्वामीश्रीअड़गड़ानंदजी महाराज।🪷🙏🚩ॐ Скачать
हे राजन्!इष्ट का स्वरूप बार-बार स्मरण करने की वस्तु है। @यथार्थगीता#स्वामीश्रीअड़गड़ानंदजीमहाराज🪷🙏🚩ॐ Скачать
अर्जुन एक महात्मा है, योगी है, साधक है, न की कोई धनुर्धर जो मारने के लिए खड़ा हो।@यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
अर्जुन को तो जो होना था,हो गया;शास्त्र भविष्य में आने वाली पीढ़ी अर्थात् आप सबके लिए ही है@गीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
हे पार्थ! क्या तेरा अज्ञान से उत्पन्न मोह नष्ट हुआ?@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंद जी महाराज।🪷🙏🚩ॐ Скачать
गीता का उपदेश अनधिकारियों को नहीं कहना चाहिए; किन्तु जो श्रद्धावान् हैं उससे अवश्य कहना चाहिए।🪷🚩🙏ॐ Скачать
अब योगेश्वर श्रीकृष्ण स्वयं निर्णय देते हैं कि गीता के उपदेश किनसे नहीं कहना चाहिए?@यथार्थगीता।🪷🚩🙏ॐ Скачать
जो अनन्य भाव से शरण हो जाता है, उसकी जिम्मेदारी वह इष्ट सद्गुरु स्वयं अपने हाथों में ले लेते हैं।🪷🚩🙏 Скачать
अर्जुन ! मैं तुझे सम्पूर्ण पापों से मुक्त कर दूँगा।@यथार्थगीता#स्वामीश्रीअड़गड़ानंद जी महाराज।🪷🚩🙏ॐ Скачать
साधक के लिए सद्गुरु की शरण नितान्त आवश्यक है।@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंद जी महाराज।🪷🙏🚩ॐ Скачать
सत्य यही है,शोध की स्थली यही है,प्राप्ति की स्थली भी यही है। साधक के लिए इष्ट सदैव खड़े रहते हैं🪷🙏🚩ॐ Скачать
कौन्तेय! मोहवश तू जिस कर्म को नहीं करना चाहता... @यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंद जी महाराज।🪷🙏🚩ॐ Скачать
अत:अर्जुन! संपूर्ण कर्मों को मन से मुझे अर्पित करके, निरन्तर मुझमें चित्त को लगा।@यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
पुरुष जिस विधि से ब्रह्म को प्राप्त होता है, उस विधि को तू मुझसे संक्षेप में जान।@यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
श्रीकृष्ण के अनुसार नकल या ईर्ष्या से कुछ मिलेगा नहीं।@यथार्थगीता#स्वामीश्रीअड़गड़ानंद जी महाराज🪷🙏🚩ॐ Скачать
आप अल्पज्ञ ही क्यों ना हों, वहीं से आरंभ करें। वह विधि है- परमात्मा के प्रति समर्पण।@यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
अर्जुन! इस कर्म को करके तू परमसिद्धि को प्राप्त होगा।#यथार्थगीता#स्वामीश्रीअड़गड़ानंद जी महाराज।🪷🙏🚩ॐ Скачать
वर्ण जन्म-प्रधान है अथवा कर्मों से पायी जानेवाली अन्तःकरण की योग्यता का नाम है?@यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
Ek Araz Meri Sunn Le..इक अरज मेरी सुन ले..एक बहुत ही मधुर भजन #स्वामीश्रीअड़गड़ानंद जी महाराज।🪷🙏🚩ॐ Скачать
अब योगेश्वर श्रीकृष्ण गुणों की पहुँच बताते हैं- @यथार्थगीता#स्वामीश्रीअड़गड़ानंद जी महाराज।🪷🙏🚩ॐ Скачать
योगेश्वर श्रीकृष्ण ने किस सुख को राजसी व तामसी बताया?@यथार्थगीता#स्वामीश्रीअड़गड़ानंद जी महाराज।🪷🙏🚩ॐ Скачать
हे पार्थ! अब राजसी व तामसी धारणा के लक्षण जान- @यथार्थगीता#स्वामीश्रीअड़गड़ानंद जी महाराज।🪷🙏🚩ॐ Скачать
बुद्धि के बाद योगेश्वर श्रीकृष्ण अब 'धृति' - धारणा के तीन भेद स्पष्ट करते हैं।@यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
गीता में योगेश्वर श्रीकृष्ण ने ज्ञान के भी तीन भेद बताये - सात्विक, राजस व तामस।@यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
ज्ञान, कर्म और कर्त्ता के भी तीन-तीन भेद हैं- @यथार्थगीता।#स्वामीश्रीअड़गड़ानंद जी महाराज।🪷🙏🚩ॐ Скачать
ऐसे अनुरागी के लिए भगवान ताल ठोंककर सदैव खड़े रहते हैं@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंदजीमहाराज 🪷 🙏🚩 Скачать
मनुष्य मन,वाणी और शरीर से जो कुछ कर्म आरम्भ करता है,उसके ये पाँचों ही कारण हैं।@यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
हे महाबाहो! सम्पूर्ण कर्मों की सिद्धि के लिए पाँच कारण सांख्य-सिद्धांत में कहे गये हैं- @यथार्थगीता Скачать
यह नियत कर्म भी क्या करते ही रहेंगे या कभी इसका भी त्याग होगा?@यथार्थगीता#स्वामीश्रीअड़गड़ानंदजी🪷🙏🚩ॐ Скачать
अर्जुन! त्याग का फल है परमशान्ति,जो राजस त्याग से नहीं, सात्विक त्याग से ही प्राप्त होती है।🪷🙏🚩ॐ Скачать
गीता में श्रीकृष्ण ने बताया कि:- कीट-पतंगपर्यन्त अधम योनियों में कौन जाता है ? @यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
योगेश्वर श्रीकृष्ण बल देकर कहते हैं - पार्थ ! यह मेरा निश्चय किया हुआ उत्तम मत है।@यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
कृष्णकाल में भी कई मत प्रचलित थे, आज भी हैं।@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंद जी महाराज। 🪷🙏🚩ॐ Скачать
हे अर्जुन! उस त्याग के विषय में तू मेरे निश्चय को सुन@यथार्थगीता#स्वामी श्रीअड़गड़ानंदजी महाराज।🪷🙏🚩ॐ Скачать
हे केशिनिषूदन ! मैं संन्यास और त्याग के यथार्थ स्वरूप को पृथक्-पृथक् जानना चाहता हूँ@यथार्थगीता🪷🙏🚩ॐ Скачать
यह गीता का अन्तिम अध्याय है जिसमें श्रीकृष्ण द्वारा अनेक प्रश्नों का समाधान है।@यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
श्रद्धा से रहित होकर किया हुआ कर्म, दान, तप न इस जन्म में लाभकारी है, न अगले जन्म में ही।@यथार्थगीता Скачать
योगेश्वर श्रीकृष्ण ने बताया कि- ॐ, तत् और सत् ; ये नाम परमात्मा की स्मृति दिलाते हैं।@यथार्थगीता🪷🙏🚩ॐ Скачать
शास्त्रविधि को त्यागकर और श्रद्धा से युक्त होकर यजन करने वालों की श्रद्धा कैसी होती है?@यथार्थगीता। Скачать
उस परमात्मा की प्राप्तिवाला कर्म ही सत् है। समर्पण के साथ श्रद्धा नितान्त आवश्यक है।@यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
योगेश्वर श्रीकृष्ण अब तत् शब्द का प्रयोग बताते हैं - @यथार्थगीता#स्वामीश्रीअड़गड़ानंद जी महाराज।🪷🙏🚩ॐ Скачать
Oo Rasiya..Main to Sharan tumhari ओ रसिया..मैं तो शरण तुम्हारी।#स्वामी श्रीअड़गड़ानंद जी महाराज।🪷🙏🚩ॐ Скачать
मूर्खता पूर्वक हठ से; दूसरे का अनिष्ट/बदले की भावना से किया गया तप क्या कहलाता है?@यथार्थगीता।🪷🙏🚩ॐ Скачать
गीता में श्रीकृष्ण ने बताया- शरीर, वाणी और मन का तप, तीनों तपों को मिलाकर सात्विक तप कहते हैं।🪷🙏🚩ॐ Скачать