वर्तमान समय में ज्योतिषियों से सबसे ज्यादा पूछे जाने वाला प्रश्न विवाह समय का है। लड़कियों के पिता इस संबंध में विशष चिंतित रहते हैं। आज से 50-60 वर्ष पूर्व जब बाल विवाह का रिवाज था, तब विवाह समय बताने का एक बड़ा सरल तरीका गांव-शहर के पंडित काम में लाते थे। वे कुंडली की सप्तम भाव की राशि संख्या में 8 जोड़ देते और विवाह का वर्ष भी बता देते।
इसमें कम से कम आयु 9 वर्ष आती (तुला लग्न में) और अधिक से अधिक विवाह की उम्र 20 वर्ष निकलती। अब यह फॉर्मूला लागू नहीं किया जा सकता। देशकाल के अनुसार सूत्र बदलते रहते हैं।
विवाह समय के संबंध में कुंडली पर कुछ शोधकार्य भी हुआ है। मोटे रूप में विवाह की अवस्था (18 से 28 के लगभग) में जब शनि और बृहस्पति दोनों सप्तम भाव और लग्न को देखते हों या गोचरवश इन भावों में आ जाएं तो उस अवधि में अवश्य विवाह होता है।
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