आज २७ जून २०२२. संगीतकार राहुल देव बर्मन जी की बयासीवी सालगिरह. इसके उपलक्ष्य में उनकी एक शाश्वत उत्कृष्ट संगीत रचना प्रस्तुत हैं....
"तुमने मुझे देखा, होकर मेहरबाँ,
फिल्म तीसरी मंज़िल (१९६६)
गायक : मोहम्मद रफ़ी
( यहाँ पाकिस्तानी गायक हैं खालिद बेग. )
संगीतकार : राहुल देव बर्मन
गीतकार : मजरूह सुलतानपुरी.
[यह मुखड़ा + तीन अंतरा को समाविष्ट करता विशेष प्रारूप है जो मात्र पाकिस्तान में ही उपलब्ध है.]
यह वह प्रारुप नहीं कि जिसमें से एक बंद ना सिर्फ फिल्म के गीत से हटाया गया था बल्कि भारत में प्रकाशित हुई उसकी ऑडियो LP में भी वह बंद मौजूद नहीं था. यह वह प्रारुप है जो पाकिस्तान में ही उपलब्ध उस गीत के ऑडियो LP का है जिसमें अंतरे के बाद दुसरे स्थान पर स्थित निम्न बंद के साथ संपूर्ण गीत (मुखड़ा + तीन बंद) है. हटाये गए बंद के बोल थें....
ओss दिल को यूँ चुरा के मेरे,
बैठे हों ऐसे तुम,
जैसे कोई कहता हों,
दिल में कहीं रहते हों तुम,
अजनबी, थें कभी,
आज हों मेरी जान,
जानेमन, जानेजाँ,
तुमने मुझे देखा, होकर मेहरबाँ,
रुक गई ये ज़मीं,
थम गया आसमाँ,
जानेमन जानेजाँ,
तुमने मुझे देखा...
यह व्हिडिओ पाकिस्तान के “तेजतरीन” इस न्यूज़-स्टुडियो पर योजित संगीत-कार्यक्रम का है जिसमें पाकिस्तानी गायक खालिद बेग अपने साथियों के सहयोग से यह गीत प्रस्तुत कर रहा है. रफ़ी साहब की आवाज़ के साथ इस खालिद की आवाज़ कितनी हू-ब-हू मिलती है ! मजरुह सुलतानपुरी ने गीत के बोल भी कितने दिलकश लिखें थें ! देखनेवाली बात यह है कि पाकिस्तानी श्रोतागण भी कितनी तल्लीनता के साथ गीत का लुत्फ़ उठा रहे हैं ! मूसीकी के आड़ कोई सीमा या मजहब आ नहीं सकता. अविभाजित भारत में यह नजारा हम अक्सर देख पाते, अगर दोनों छोर के सांप्रदायिक मजहबी ताकतों के माँग की अनदेखी की गई होती.
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