संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा || Sankashti Chaturthi Vrat Katha || आषाढ़ मास संकष्टी चतुर्थी की कथा
Hello friends, today 17 June 2022, on Friday, I present to you all the story of Sankashti Chaturthi of the month of Ashadh. Sankashti means freedom from troubles. The Chaturthi of Krishna Paksha of Ashadha month is called Ashadha Sankashti Chaturthi. A specific form of Ganesha is worshiped on each Sankashti day. Krishna Pingala Maha Ganapati form of Ganesha is worshiped on the day of Sankashti of the month of Ashadh. Krishnapingala Sankashti Chaturthi is associated with Shri Shakti Ganapathi Peeth. Krishna Pingala means dark brown in Sanskrit. KrishnaPingal is also a name of Maa Durga, which is a symbol of power. In this form, the body of Lord Ganesha shines like burnt gold (golden colour). He has a huge body and 8 hands. In the four hands of the right arm of Lord Ganesha, there is a shining hook, an arrow, a rosary and a tooth. And on the left with four hands he is holding a noose, a bow, a wish-granting creeper, and laddus. He is wearing red clothes.
Each Sankashti fast has its own importance. Ashadh Sankashti Chaturthi is going to give happiness to the son. Let's start, the fast story of Krishna Pingala Sankashti Chaturthi of Ashadha month...
The person who observes this fast with devotion will be entitled to all worldly pleasures.
संकष्टी चतुर्थी: 17 जून 2022, शुक्रवार
आषाढ़ मास चतुर्थी तिथि शुरू - 17 जून 2022 को सुबह 06:10 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त - 18 जून, 2022 को पूर्वाह्न 02:59 बजे
संकष्टी के दिन चन्द्रोदय: 17 जून 2022 10 बजकर 32 मिनट पर
नमस्कार दोस्तों, आज 17 जून 2022, शुक्रवार को मैं आप सभी के समक्ष आषाढ़ मास की संकष्टी चतुर्थी की कथा प्रस्तुत कर। संकष्टी का अर्थ है संकटों से मुक्ति। आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आषाढ़ संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। प्रत्येक संकष्टी के दिन गणेश के एक विशिष्ट रूप की पूजा की जाती है। आषाढ़ महीने की संकष्टी के दिन गणेश जी के कृष्ण पिंगला महा गणपति रूप की पूजा होती है | कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी को श्री शक्ति गणपति पीठ से जोड़ा गया है | कृष्ण पिंगला का संस्कृत में अर्थ है गहरा भूरे रंग | मां दुर्गा का एक नाम कृष्णपिङ्गल भी है, जो शक्ति का प्रतीक है | इस रूप में गणेश जी का शरीर तपे हुए सोने (सुनहरे रंग) की तरह चमकता है। उनका विशाल शरीर और 8 हाथ हैं। गणेश भगवान की दाहिनी भुजा के चार हाथों मैं एक चमकता हुआ अंकुश, एक तीर, एक माला और एक दांत है। और बाईं ओर चार हाथों मैं वह एक फंदा, एक धनुष, एक इच्छा देने वाली लता, और लड्डू पकड़े हुए है। उन्होंने लाल रंग के वस्त्र धारण कर रखे हैं।
प्रत्येक संकष्टी व्रत का अपना महत्त्व है | आषाढ़ संकष्टी चतुर्थी पुत्र सुख प्रदान करने वाली हैं।आइए शुरू करते हैं, आषाढ़ मास की कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा
जो व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धा पूर्वक करेंगे वह सभी सांसारिक सुखों के अधिकारी होंगे।
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