#अतिथि,
#गौरा पंत शिवानी,
भाग-1
[ Ссылка ]
भाग-2
[ Ссылка ]
भाग-3
[ Ссылка ]
भाग-4
[ Ссылка ]
भाग-5
[ Ссылка ]
भाग-6
[ Ссылка ]
भाग-7
[ Ссылка ]
अंतिम भाग-8
[ Ссылка ]
हिन्दी साहित्य की सर्वाधिक लोकप्रिय कथा लेखिका
शिवानी की मोह लेने वाली कुशल लेखनी से उद्भूत एक
मार्मिक कथा रचना ।
यशस्वी लेखिका शिवानी का बहुचर्चित
उपन्यास है 'अतिथि', जिसकी कहानी सबला स्त्री के स्वाभिमान और संकल्प की रक्षा की वकालत करती है,
लिजलिजी भावुकता और परम्परागत गुलामी में जीने वाली कमजोर नारी नहीं है जया। न ही बाढ़ भरी नदी की तरह बह जाने वाले अस्थिर इरादे ही है।
वह कार्तिक की पत्नी होकर उसकी मक्कारियों के साथ समझौता नहीं कर सकती, वह पुरुष सम्पर्क के
स्वाभाविक आवेगों को भी नकारती है और शेखर के इरादों के साथ कोई साझा नहीं करती।
जया उस नारी का प्रतीक है,
जो दबी-ढकी-घुट रही स्त्रियों को सर ऊँचा करके जीने की प्रेरणा देती है। शिवानी की चिरपरिचित रचना शैली में ही यह एक बेहद रोचक और मार्मिक उपन्यास है
तथा पाठक के मन को उद्वेलित करने में सक्षम है।
उपन्यास, कहानी, रेखाचित्र, संस्मरण, रिपोर्ताज, निबन्ध आदि क्षेत्र में शिवानी का योगदान उल्लेखनीय रहा है ।
गौरा पंत ‘शिवानी’ (जन्म- 17 अक्टूबर, 1923 ; मृत्यु- 21 मार्च, 2003) हिन्दी की सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थीं। हिंदी साहित्य जगत में शिवानी एक ऐसी शख्सियत रहीं, जिनकी हिंदी, संस्कृत, गुजराती, बंगाली, उर्दू तथा अंग्रेज़ी पर अच्छी पकड थी और जो अपनी कृतियों में उत्तर भारत के कुमायूँ क्षेत्र के आसपास की लोक संस्कृति की झलक दिखलाने और किरदारों के बेमिसाल चरित्र चित्रण करने के लिए जानी जाती हैं
Ещё видео!