देवघर रोप-वे हादसे (Deoghar Ropeway Accident) के बाद युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य चलाया गया. इस दौरान प्रसासन से लेकर वायुसेना के Mi 17 हेलीकॉप्टर की मदद ली गई. इस घटना के बाद से ही देवघर में स्थित त्रिकुट पर्वत (Trikut Pahar Ropeway) चर्चा में आ गया है. त्रिकुट पहाड़ (Trikut Parvat History) पर रोप-वे पर्यटकों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र है. झारखंड में त्रिकुट पहाड़ इकलौती ऐसी जगह है, जहां पर रोपवे का इस्तेमाल किया जाता है. सबसे अहम बात ये है कि ये रोपवे बाबा बैद्यनाथ मंदिर से 20 किलोमीटर की दूरी तक है और यह करीब 766 मीटर लंबा है. जानकारी के मुताबिक त्रिकुट पर्वत (Trikut Pahar News) की पहाड़ियां करीब 392 मीटर ऊंची हैं. रोप-वे की मदद से ही पर्यटक पहाड़ की ऊंची चोटी पर पहुंचते हैं. यहां के रोपवे में करीब 26 कैबिन हैं, जिनमें पर्यटक बैठकर पहाड़ पर जाते हैं. इस रोपवे से पहाड़ की चोटी पर पहुंचने में सिर्फ 8 से 10 मिनट ही लगते हैं. चोटी पर पहुंचने के बाद देवघर का नज़ारा बेहद शानदार दिखता है. पर्यटक यहां से बेहद ही खूबसूरत दिखने वाले पहाड़ और तपोवन के सोलर पैनल को देख सकते हैं. आपको बता दें कि द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक झारखंड में बाबा वैद्यनाथ धाम मंदिर (Baba Baidyanath) देवघर में ही है. यहां से 13 किलोमीटर की दूरी पर देवघर-दुमका रोड पर त्रिकुट पर्वत है. इस पर्वत के एक तरफ बाबा वैद्यनाथ का मंदिर है तो दूसरी तरफ थोड़ी दूरी पर दुमका की तरफ नागनाथ बाबा बासुकीनाथ का मंदिर है. यहां इस पर्वत के तीन शिखर हैं, जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश के मुकुट के तौर पर जाना जाता है. साथ ही दो छोटे पर्वत शिखर गणेश और कार्तिकेय के नाम से जाने जाते हैं.. इसलिए इस पहाड़ को त्रिकुट पर्वत के नाम से जाना जाता है.
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