आप सभी भक्तों को सादर प्रणाम | सिद्धार्थ अमित भावसार द्वारा संगीतबद्ध, आदित्य गढ़वी के भावयुक्त स्वर में विशेष श्री राम स्तुति "श्री राम अष्टकम"।
Listen to Sri Ramashtakam performed by @AdityaGadhvi of Khalasi / Gotilo fame on your favourite streaming platforms.
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भगवान श्री राम जी की स्तुति करने के लिए महर्षि वेदव्यास जी द्वारा लिखित श्री रामाष्टकम सबसे लोकप्रिय स्रोत माना गया है ।। रामाष्टकम के नियमित पाठ या श्रवण से जातक की सभी प्रकार की समस्याएं दूर होती है और उन पर भगवान श्री राम और भगवान श्री हनुमानजी की विशेष कृपा भी होती है ।।श्री राम अष्टकम एक प्रमुख हिंदू भक्ति स्तुति है जिसमें भगवान राम की महिमा और महत्व की प्रशंसा की जाती है। यह अष्टकम (स्तोत्र) भगवान राम के गुण, लीला, और भक्ति के सतत आदर्श के रूप में है.
इस अष्टकम के कुछ मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
प्रमुख रूप से भगवान राम की प्रशंसा: श्री राम अष्टकम उनके भक्तों द्वारा उनकी प्रशंसा करने के लिए है, उनके महत्व को व्यक्त करने के लिए और उनकी आदर्शता को याद दिलाने के लिए.
भक्ति और आदर्श: इस अष्टकम के माध्यम से, भक्त भगवान राम के प्रति अपनी अपार भक्ति और आदर्शता को व्यक्त करते हैं.
गुण और विशेषताएं: यह अष्टकम भगवान राम के गुणों, विशेषताओं, और महिमा को स्तुति करता है, जैसे कि उनकी प्रेम और विश्वास में स्थिरता, उनका मानवता और धर्म के प्रति समर्पण, और उनके अद्वितीय लीला और कर्म.
भक्ति में आवश्यकता: श्री राम अष्टकम भगवान राम के प्रति अपने भक्तों की अपनी महान भक्ति को व्यक्त करने का एक आदर्श तरीका है.
मानसिक शांति: इस अष्टकम को पढ़ने और सुनने से मानसिक शांति और आंतरिक सुकून मिलता है.
आध्यात्मिक संवाद: इस अष्टकम के माध्यम से, भक्त और भगवान के बीच आध्यात्मिक संवाद का हिस्सा बनते हैं और अपने आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में काम करते हैं.
श्री राम अष्टकम का पाठ या सुनना भक्तिगीत के रूप में किया जाता है, और यह भगवान राम की पूजा और स्तुति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
बोल:
भजे विशेषसुन्दरं समस्तपापखण्डनम् ।
स्वभक्तचित्तरञ्जनं सदैव राममद्वयम् ॥ १ ॥
जटाकलापशोभितं समस्तपापनाशकं ।
स्वभक्तभीतिभञ्जनं भजे ह राममद्वयम् ॥ २ ॥
निजस्वरूपबोधकं कृपाकरं भवापहम् ।
समं शिवं निरञ्जनं भजे ह राममद्वयम् ॥ ३ ॥
सहप्रपञ्चकल्पितं ह्यनामरूपवास्तवम् ।
निराकृतिं निरामयं भजे ह राममद्वयम् ॥ ४ ॥
निष्प्रपञ्चनिर्विकल्पनिर्मलं निरामयम् ।
चिदेकरूपसन्ततं भजे ह राममद्वयम् ॥ ५ ॥
भवाब्धिपोतरूपकं ह्यशेषदेहकल्पितम् ।
गुणाकरं कृपाकरं भजे ह राममद्वयम् ॥ ६ ॥
महावाक्यबोधकैर्विराजमानवाक्पदैः ।
परं ब्रह्मसद्व्यापकं भजे ह राममद्वयम् ॥ ७ ॥
शिवप्रदं सुखप्रदं भवच्छिदं भ्रमापहम् ।
विराजमानदेशिकं भजे ह राममद्वयम् ॥ ८ ॥
रामाष्टकं पठति यस्सुखदं सुपुण्यं
व्यासेन भाषितमिदं शृणुते मनुष्यः
विद्यां श्रियं विपुलसौख्यमनन्तकीर्तिं
संप्राप्य देहविलये लभते च मोक्षम् ॥ ९ ॥
॥ इति श्रीव्यासविरचितं रामाष्टकं संपूर्णम् ॥
Credits:
Singer : Aditya Gadhvi
Music Composer : Siddharth Amit Bhavsar
Music Produced by Mir Desai
Flute : Paras Nath
Chorus : Male Chorus: Nishant Upadhyay, Vivek Nayi, Margiv Trivedi
Rhythm arranged and recorded by Mir Desai
Vocals recorded at Creakia Studios Ahmedabad
Flute recorded at Neo Sounds Andheri
Mixed & Mastered by Abhishek Ghatak
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