'पर हूँ तेरा'- यह लिये टेर, चरण पड़े की रखियो मेर ।
अपना आप विरद-विचार, दीजिये भगवन् ! नाम प्यार ।।
यही मेरी करुण पुकार है कि 'मैं तेरा हूँ' ; अतः चरणों में गिरा हूँ, मुझको संभालो, मुझ पर कृपा करो।
हे प्रभु ! आप मेरी त्रुटियों की ओर ध्यान न देकर अपने सामर्थ्य, अपने स्वभाव का विचार करके, मुझे अपने नाम की प्रीति दीजिये।
*आइये हम भी श्रद्धेय विनोद अग्रवाल जी के साथ इस भाव को प्राप्त करने की प्रार्थना करें.....*
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