खाने के बाद सौंफ, लौंग, इलायची का सेवन अच्छा माना जाता है। इनमें ऐसे कई तत्व पाए जाते हैं जो भोजन को पचाने में मदद करते हैं।
लेकिन कुछ लोगों को खाने के बाद गुटखा चबाने की लत होती है। कुछ तो सुबह उठते ही चाय से पहले गुटखे का सेवन करने लगते हैं। धीरे-धीरे वह इसके इतने आदी हो जाते हैं कि अपनी इस लत पर कंट्रोल ही नहीं कर पाते।
ऐसे लोग हमेशा मुंह में गुटखा, पान-मसाला, खैनी आदि दबाए रहते हैं। एक समय ऐसा आता है कि उनका मुंह सामान्य से कम खुलने लगता है। ऐसे लोग बर्गर या पानी-पुरी (गोल गप्पे) खाने के लिए भी मुंह नहीं खोल पाते।
मैंने ऐसे कई लोग देखे हैं, जिन्हें 1 इंच मुंह खोलने में भी परेशानी होती है। ऐसे भी लोग हैं जो गुटखा छोड़ चुके हैं लेकिन फिर भी उन्हें मुंह खोलने में प्रॉब्लम होती है।
मुंह नहीं खुलने या कम खुलने का इलाज सर्जरी या अन्य तरीके से होता है। मेडिकली लैग्वेंज में इसे ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस (Oral Submucous Fibrosis) कहा जाता है। इस ट्रीटमेंट में मुंह खुलने और बंद होने जैसी क्रियाओं पर काम किया जाता है।
मुंह के अंदर का म्यूकस सिकुड़ने से यह (मुंह कम खुलने) समस्या होती है। इसकी सर्जरी काफी महंगी होती है। लेकिन आप इस समस्या से राहत के लिए मुंह की कुछ एक्सरसाइज और स्ट्रेचिंग भी कर सकते हैं। इन एक्सरसाइज से कुछ मामलों में राहत मिल सकती है।
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