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गंगोलीहाट (Gangolihat) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ मण्डल के पिथौरागढ़ ज़िले में स्थित एक नगर और तहसील मुख्यालय है, जो हाट कलिका मंदिर नामक सिद्धपीठ के लिये प्रसिद्ध है। इस सिद्ध पीठ की स्थापना आदिगुरू शंकराचार्य द्वारा की गयी। हाट कलिका देवी रणभूमि में गए जवानों की रक्षक मानी जाती है। यह मंदिर जिला मुख्यालय से 77 किलोमीटर की दूरी पर है तथा सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
इतिहास
सरयू गंगा तथा राम गंगा नदियों के मध्य स्थित होने के कारण इस क्षेत्र को पूर्वकाल में गंगावली कहा जाता था, जो धीरे धीरे बदलकर गंगोली हो गया। तेरहवीं शताब्दी से पहले इस क्षेत्र पर कत्यूरी राजवंश का शासन था। गंगोलीहाट इस गंगोली क्षेत्र का प्रमुख व्यापारिक केंद्र था।
तेरहवीं शताब्दी के बाद यहाँ मनकोटी राजाओं का शासन रहा, जिनकी राजधानी मनकोट में थी। गंगोलीहाट के जाह्नवी नौले से प्राप्त एक शिलालेख पर मनकोटी राजाओं के नाम अंकित हैं। सोलहवीं शताब्दी में कुमाऊँ के राजा बालो कल्याण चन्द ने मनकोट पर आक्रमण कर गंगोली क्षेत्र पर अधिकार कर लिया। उन्नीसवीं शताब्दी में गंगोली को अल्मोड़ा जनपद का परगना बनाया गया, तथा गंगोलीहाट नगर में ही परगना मुख्यालय स्थापित किये गए। १९६० में पिथौरागढ़ जनपद के गठन के बाद गंगोलीहाट तहसील का भी गठन किया गया, जिसका मख्यालय भी गंगोलीहाट नगर में रखा गया।
गंगोलीहाट नगर की स्थापना ७ जुलाई २०१२ को पिथौरागढ़ जनपद के ११ राजस्व ग्रामों को मिलाकर किया, जिनमें हाट, कूंउप्रेती, खेतीगड़ा, पुनौली, नौढुंगा, चुडिय़ागौर, चौढिय़ार, लाली, खतेड़ा, हनेरा व रावलगांव शामिल हैं।
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