1984 में भोपाल में गैस रिसाव से हजारों लोग मारे गए लेकिन आज भी कई लोग और उनके बच्चे प्रभावित हैं. यह दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक आपदा मानी जाती है. सुरेखा लक्केवार को 2 दिसंबर, 1984 की शाम आज भी याद है: "हमारी आंखें अचानक दुखने लगीं, जैसे किसी ने उनमें मिर्च रगड़ दी हो, और हम मुश्किल से सांस ले पा रहे थे" कीटनाशक फैक्ट्री यूनियन कार्बाइड से कई टन जहरीली गैसें निकली थीं. इससे हजारों लोग मारे गए और सैकड़ों हजारों घायल हुए.
कई परिवार भोपाल गैस रिसाव को कभी नहीं भूल सकते. वे आज तक इसके परिणामों से संघर्ष कर रहे हैं. DW संवाददाता आकांक्षा सक्सेना ने कंपनी की जगह का दौरा किया जहाँ आज भी जहरीला कूड़ा पड़ा हैं. उन्होंने प्रभावित परिवारों से भी बात की.
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