#शिलालेख वाला सबूत "वैदिक साहित्य में राजर्षि कूर्म" नामक पुस्तक से ली गई है जिसके लेखक "श्री रविलाल सिंह" है
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अवधिया क्षत्रिय कूर्म ( लिच्छवी )
कुल -- इक्ष्वाकु.
वंश -- सूर्यवंश.
गोत्र--वशिष्ठ,कश्यपकूर्म,कूर्म, मनु
कुल देवता-- लिंग महादेव.
संस्थापक सम्राट -- सम्राट विशाल.
अंतिम राजा -- सूती, प्रमाति.
आइए अवधिया कूर्म के बारे में जानते है,
यह वंश भगवान मनु के बेटे उत्तानपाद के बाद इसी कुल के वंसज सम्राट इक्ष्वाकु से प्रारंभ हुआ , महर्षि कश्यप ,राजर्षि कूर्म ,महाराज मनु, और इक्ष्वाकु की वंसधर राम और सीता के पुत्र लव और कुश : भरत के दो पुत्र थे- तार्क्ष और पुष्कर, लक्ष्मण के पुत्र- चित्रांगद और चन्द्रकेतु और शत्रुघ्न के पुत्र सुबाहु और शूरसेन थे। मथुरा का नाम पहले शूरसेन था। जब राम ने वानप्रस्थ लेने का निश्चय कर भरत का राज्याभिषेक करना चाहा तो भरत नहीं माने अत: दक्षिण कौशल प्रदेश (छत्तीसगढ़) में कुश और उत्तर कौशल में लव का अभिषेक किया गया।राम के काल में भी कौशल राज्य उत्तर कौशल और दक्षिण कौशल में विभाजित था। कालिदास के रघुवंश अनुसार राम ने अपने पुत्र लव को शरावती का और कुश को कुशावती का राज्य दिया था। शरावती को श्रावस्ती मानें तो निश्चय ही लव का राज्य उत्तर भारत में था और कुश का राज्य दक्षिण कौशल में था।लव की राजधानी अयोध्या था और कुश की राजधानी कुशावती आज के बिलासपुर जिले(छत्तीसगढ़) में थी।राजा दशरथ की रानी कौशल्या :दक्षिण कौशल की नगरी कोसला की राजकुमारी थी। कालिदास ने रघुवंश(13,62)में अयोध्या को उत्तर कौशल की राजधानी कहा है '’सामान्य धात्रीमिव मानसं मे संभावयत्युत्तरकोसलानाम्’', दे. उत्तर कोसल। रामायण-काल में अयोध्या बहुत ही समृद्धिशाली नगरी थी। रघुवंश के अनुसार कुश को अयोध्या जाने के लिए विंध्याचल को पार करना पड़ता था इससे भी सिद्ध होता है कि उनका राज्य दक्षिण कौशल में ही था।उत्तर कौशल अयोध्या से उत्तर दिशा की तरफ पाकिस्तान तक था और दक्षिण कौशल दक्षिण में मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ और उड़ीसा तक था।
राजा लव से राघव वंश हुआ जो कई वर्गो में बंटा है,जैसे: मराठा सिंदे, सिंधिया,देशमुख, सिसोदिया,लेवा पाटीदार, राजवाड़े, बैसवाड़े, अवधिया (सुरजा), गंगवार, नायक, कम्मा,देवगौड़ा, राव, कश्यप, वर्मा, चौधरी, इत्यादि। कुश से कुशवाह (कछवाह) का वंश चला जो आजकल के अवधिया शोखहा ,कड़वा है। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार लव ने लवपुरी नगर की स्थापना की थी, जो वर्तमान में पाकिस्तान स्थित शहर लाहौर है। यहां के एक किले में लव का एक मंदिर भी बना हुआ है। लवपुरी को बाद में लौहपुरी कहा जाने लगा। दक्षिण-पूर्व एशियाई देश लाओस, थाई नगर लोबपुरी, दोनों ही उनके नाम पर रखे गए स्थान हैं। भरत के पुत्र तार्क्ष्य ने तक्षशीला नामक नगर बसाया जो आज पाकिस्तान में हैं,भरत के दूसरे पुत्र पुष्कर ने पुस्करावती शहर बसाया जो पाकिस्तान की पेशावर हैं।भारतीय लोक कथाओं के अनुसार सीता के एक ही पुत्र हुए थे लव और उनके दूसरा पुत्र कुश महर्षि वाल्मीकि द्वारा मंत्रो से निर्मित किया हुआ माया था जो लव की तरह ही दिखता था।एक शोधानुसार कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए, जो महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े थे। यदि इसकी गणना की जाए तो लव और कुश महाभारतकाल के 2500 वर्ष पूर्व से 3000 वर्ष पूर्व हुए थे अर्थात आज से 6,500 से 7,000 वर्ष पूर्व।दुनिया में बहुत से कथाएं है जिनमे इतिहास के साथ थोड़ा बहुत फेर बदल हुआ है और इसी फेर बदल के कारण दूसरे समाज के लोग भी खुद को राम का वंशज बताने लगे हैं।सूर्यवंश का इतिहास बहुत बड़ा और पुराना है सूर्यवंश में बहुत से कुल हुए है मगर राम के पहले राजर्षि कूर्म के वंश में सिर्फ कूर्म क्षत्रिय समाज ही हुए हैं और इसका प्रमाण भी पुराणों में स्पष्ट रूप से हैं।यजुर्वेद(२४,३४)में"कूर्म" कु अर्थात पृथ्वी उर्म अर्थात गोद में पलने वाला पृथ्वी पुत्र भी कहा गया है।ऋग्वेद(३,१०,३ )में कूर्म का शाब्दिक अर्थ कर्मशील,पराक्रमी,कृषक(किसान)और प्राचीन क्षत्रिय बताया गया है।यजुर्वेद(१३,३०)में कूर्म को प्राचीन क्षत्रिय बताया गया है।रामायण(२,१२,३६)में अयोध्या वाल्मीकि कृत्य अयोध्या काण्ड में देंखे।अञ्जलिम़ कूर्मी कैकेयि पादौ चापि स्पृशामि,शरणमं भव रामस्य माङधर्मो मामिह् स्पृशेत।पुराणों और वेदों में बार बार कूर्म की व्याख्या किया गया है जबकि अन्य किसी भी समाज का कोई जिक्र नहीं मिलता इससे पता चलता है कूर्म प्राचीन क्षत्रिय जाति है हालाकि उस समय जाति प्रचलन में नहीं था मगर जाति की उत्पत्ति शुरू से ही हो चुका था।ऐसा कहा जाता है कि कुश के वंशज अपने बंटवारे में पाए हुए राज्य से खुश नहीं थे और लोभ वश अयोध्या पर कब्जा करना चाहते थे माना जाता है कि लव और कुश के वंशजों में भयंकर युद्ध हुआ और इस युद्ध में लव के वंशज को बहुत नुक़सान हुआ,जिसके बाद से दोनों का संबंध टूट गया।इस युद्ध का वर्णन तो पुराणों में स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है मगर रघुवंश सर्ग 16 से ज्ञात होता है कि कुश ने कुशावती में कुछ समय पर्यंत राज करने के पश्चात अयोध्या की इष्ट देवी के स्वप्न में आदेश देने के फलस्वरूप अयोध्या को पुनः अपनी राजधानी बनाई थी.दक्षिण कौशल प्रदेश कुशावती से ससैन्य अयोध्या आते समय कुश को विंध्याचल पार करना पड़ा था-- 'व्यलंङघयद्विन्ध्यमुपायनानि पश्यन्पुलिंदैरूपपादितानि' रघुवंश। लव के वंश में सिख पंथ के दसवें गुरु गोविंद सिंह महाराजा हरिश्चंद्र,महाराजा विक्रमादित्य,राजा भोज,छत्रपति शिवाजी महाराज,वीर संभाजी महाराज,राजर्षी शाहूजी महाराज,महाराज शल्य,राजा विशाल(लिच्छवी),भारत निर्माता लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल इत्यादि जैसे महान योद्धा और दानी हृदय सम्राट हुए,कुश के वंश में चन्द्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक ,जयपुर कच्छवाह वंश में सवाई जय सिंह और मान सिंह जैसे महान लोग पैदा हुए।ये सुर्यवंशी थे अतः इनका वंश सुर्यवंशी क्षत्रिय कहलाया।
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