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Lyrics:-
Intro:-
कुरुक्षेत्र की भूमि नाम बर्बरीक क्यों सबको याद नहीं
काट शीश धरा कृष्ण चरण करी उफ्फ तलक भी आवाज नहीं
श्याम नाम संग पहुंचे लेके कलियुग में सहारे हारे के
तीन बाण के धारी श्याम खाटू कहलाते आज वही।
Verse:-
आओ शुरू करे कहानी उस काल की
छिड़ी थी लड़ाई जब भाई और भाई की
एक तरफ धर्म दूसरी तरफ अधर्म
एक तरफ भीम पौत्र कसम जिसने खाई थी
दादी हिडिंबा को दिया था वचन
बनूं हारे का सहारा माता देना आशीर्वाद
लेके निकल पड़े युद्ध भूमि ओर थाम तरकश को भुजा में तीन बाण लेके साथ
बीच राह में बन साधु पहुंचे माधव जिन्हें भलीं भांति था योद्धा के वचन का एहसास
बोले वत्स इतनी शीघ्रता में क्यों हो कहां जाते हो कहो क्या है प्रयोजन इतना खास
देख साधु बर्बरीक बोले ब्राह्मण देव पथ मेरा दो छोड़ नहीं करनी है विलम्ब
हूं मैं अग्रसर एक युद्ध की ओर बनना हारे का सहारा तीन बाणों की सौगंध
ब्राह्मण वेश में मुस्काए माधव बोले तीन बाणों से हे वीर युद्ध कैसे जीत पाओगे
बर्बरीक बोले आम ना ये बाण लक्ष्य भेदने के बाद मेरे तरकश में ही पाओगे।।
Hook:-
बोले भेष ब्राह्मण का बनाए कृष्ण मुझको विश्वास नहीं,
ऐसे बाण भी होते हैं क्या दिखलाओ मुझको साक्षात कहीं,
देख वृक्ष चुन सूखे पत्ते बना लक्ष्य छोड़ दो बाण कहीं,किंचित ना छूटे भेदन से एक भी पत्ता सुखा रहे याद यही।
Verse २:-
चढ़ा प्रत्यंजा पे छोड़ दिया तीर एक एक करके सारे सूखे पत्ते दिए चीर
इसी बीच पत्ता एक नीचे पांव के दबा दिया माधव ने जो नीचे गया था गिर
बाद भेदने के सूखे पत्ते वृक्ष के पांव के ऊपर आके ब्राह्मण के रुका वो तीर
बोले बर्बरीक पांव को हटा लो पांव नीचे भी है लक्ष्य, भेद के ही रुके तीर
देख खेल असल भेष में प्रकट देख कृष्ण को समक्ष गिरा चरणों में था वीर
बोले माधव मुझको देखना था कौशल तेरी लेनी थी परीक्षा हे वीरों में परमवीर
किंतु बर्बरीक बाध्य तुम वचन के गर जो उतरोगे तुम युद्ध में करोगे सर्वनाश
बोले बर्बरीक कैसे रोकूं खुद को कैसे मोक्ष को मैं पाऊं हूं तो आपका ही दास।
बाल्यकाल से ही दादी से सुना था श्री कृष्ण के हाथों से मोक्ष हो जाता है प्राप्त
करूं शीषदान चरणों में प्रभु मगर है इच्छा चाहता देखना होता युद्ध समाप्त
Hook:-
कुरुक्षेत्र की भूमि नाम बर्बरीक क्यों सबको याद नहीं
काट शीश धरा कृष्ण चरण करी उफ्फ तलक भी आवाज नहीं
श्याम नाम संग पहुंचे लेके कलियुग में सहारे हारे के
तीन बाण के धारी श्याम खाटू कहलाते आज वही।
Outro:-
बर्बरीक की अंतिम इच्छा पूर्ण करते हुए श्री कृष्ण जी ने एक पर्वत पर उनके शीश को रखा जहां से उन्होंने पूरा युद्ध देखा।
युद्ध के अंत के पश्चात जब पांडव जीत का श्रेय अपने अपने ऊपर लेने लगे तब श्री कृष्ण जी ने बर्बरीक से पूछा की इस युद्ध में पांडवों की विजय किसने कराई।
तब बर्बरीक बोले मुझे तो पूरे युद्ध के दौरान श्री कृष्ण ही सबका अंत करते दिखाई दे रहे थे, वहीं असली विजय का कारण है। बर्बरीक का उत्तर सुनने के पश्चात श्री कृष्ण ने उनको वरदान दिया की कलियुग में उनको उनके श्याम नाम के साथ पूजा जाएगा और वे हारे का सहारा कहलाएंगे।।
जिस स्थान पर बर्बरीक के शीश को रखा गया था उस स्थान को चुलकाना धाम के नाम से जाना जाता है।।
जय श्री खाटू श्याम🙏
CREDITS:
Written & Composed By- Shlovij
Performed by- Shlovij & Ekansh Mamgai
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Produced & Mixed/Mastered By- X Zeus
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Artwork & Lyrical Video- Sort Pixel
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Distribution partner - Fhigh Official
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Digitally Powered By- Sarvinarck Music
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