दो दशक से अधिक का समय हो गया। दो पीढ़ियाँ इसे गाकर-गुनगुनाकर बड़ी हुई। संभवतः यह पहला ऐसा कार्यक्रम था जिसमें काव्य-पाठ के लिए मुझे कोई मानदेय नहीं मिला था। कार्यक्रम से पहले आयोजन समिति के युवकों ने थोड़ा झिझकते हुए कहा कि हमारे पास पूरे पैसे इकट्ठे नहीं हो पाये हैं इसलिए हम आपको मानदेय नहीं दे पायेंगे। मैं कार्यक्रम के लिए पहले ही स्वीकृति दे चुका था अतः उस कार्यक्रम में मैंने मानदेय के बिना ही अपना काव्य पाठ किया। उस समय किसे पता था कि इस कार्यक्रम का मानदेय समय स्वयं तय करेगा तथा उस कार्यक्रम की यही एक छोटी-सी क्लिप हिंदी के लिए इतने बड़े विस्तार का माध्यम बनेगी। मुझे स्वयं भी कहॉं पता था कि बिना मानदेय के केवल उन्मुक्त मन और पूरी निष्ठा के साथ गुनगुनायी जा रही ये पंक्तियाँ मेरे अतिरिक्त लाखों हिंदी लिखने पढ़ने वालों का कंठहार बनकर कविताओं और रचनात्मकता के माध्यम से हिंदी में रोज़गार के अवसर ढूँढने वालों को स्वाभिमान के साथ जीने का अवसर प्रदान करेंगी। आप सबके इस अपार प्यार के सम्मुख नतमस्तक हूँ ! निशब्द हूँ ! कृतज्ञ हूँ ! 😍🙏🏻
(00:00) : Introduction
(01:40) : Koi Deewana kehta hai
(02:40) : Mohabbat ek ehsaaso
(04:26) : Samundar peer ka andar
(05:32) : Hungama
(06:14) : Pagli Ladki
(12:55) : Rekhta Clip
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कोई दीवाना कहता है | Koi Deewana Kehta hai | Dr Kumar Vishwas
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