Js9305सोयाबीन हार्वेस्टिंग (कटाई )के लिए तैयार है?
वैज्ञान
1. सोयाबीन किस्म जे.एस. 9560 (JS 9560)
कई वर्षों से किसान इस बात से परेशान थे कि एक अच्छी प्रामाणिक अर्ली सोयाबीन किस्म में उनके पास कोई बेहतर विकल्प नहीं था। किसानों की इस अपेक्षा को देर से ही सही किंतु वर्षों के गहन अनुसंधान के पश्चात् जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (J.N.K.V.V.) म.प्र. द्वारा भारत में पहली अतिशीघ्र पकने वाली अन्य सभी किस्म जे.एस. 9560 विकसित की गई है।
यह हाल ही में जारी सोयाबीन किस्म जे. एस. 9305 से भी लगभग 8-10 दिन पूर्व में पक कर तैयार हो जाती है तथा इसकी उत्पादन क्षमता एवं गुण शीघ्र पकने वाली अन्य सभी किस्मों की तुलना में सर्वाधिक है। सम्राट एवं अन्य पूर्व में प्रचलित शीघ्र पकने वाली किस्मों जिसमें कई समस्याऐं-कीट का प्रकोप अधिक होने के कारण उत्पादन ठीक से प्राप्त नहीं हो पा रहा था इसको विस्थापित करने में एक आदर्श विकल्प के रूप में यह किस्म शीघ्र ही किसानों में अपना स्थान बना लेगी।
आलू-प्याज, लहसुन, मटर, डालर चना, शरबती गेहुँ आति अगाति फसल लेने वाले किसानों के लिए सोयाबीन की यह किस्म अर्ली चमत्कारी किस्म वरदान सिद्ध होगी। तीखी-सकरी (भालाकार) पत्तियाँ होने के कारण एवं कॉम्पेक्य/ सघन प्लांट होने, शाखाएं बहुत अधिक न होने के कारण हवा-प्रकाश एवं पौध संरक्षण औषधि छिड़काव के समय नीचे तक आसानी से पहुँचते हैं। जिससे कीट व्याधि नियंत्रण अधिक आसान एवं काफी प्रभावशाली रहता है।
आखरी पानी न गिरने यादेरी से पानी गिरते रहने, दोनों परिस्थितियों में समायोजन कर उच्च उत्पादन क्षमता वाली कीटव्याधि प्रतिरोधकता वाली यह किस्म शीघ्रपकने, सीधे बढ़ने के गुण के कारण यह किस्म मिश्र या अन्तवर्तीय फसल पद्धति के लिये एकदम उपयुक्त किस्म है। साथ ही सघनफसल चक्र के लिये जैसे सोया-आलू-लेट गेहुँ, सोया-मटर-लेट गेहुँ, सोया-लहसुन-प्याज यह किस्म सबसे बेहतर सोया किस्म है।
इसजाति में जल्दी कटाई होने के गुण के कारण खेत में उपलब्ध वर्षाकाल की नमी का उपयोग करते हुए, असिंचित अवस्था में भी रबी फसलों की सूखा निरोधक किस्में ली जा सकती हैं। साथ ही जल्दी कटाई के कारण खेत खाली होने की स्थिति में अगाती (अर्ली) रबी की फसलें आलू-प्याज-लहसुन-मटर-सुजाता गेहुँ, डॉलर चना लेने वाले किसानों के लिये यह किस्म एक आदर्श विकल्प है।
जिससे किसानों के लिये इन फसलों में कीटों का प्रबंधन अब अधिक आसान एवं सुविधाजनक हो जावेगा तथा सोयाबीन एवं आगे की अगाति रबी फसलों का उत्पादन भी जल्दी प्राप्त होने से मंडी में उसे जल्दी विक्रय कर किसान मंडी में उच्चतम भावों का लाभ ले सकते हैं।
इस (soybean variety) में बीज दर 80 किलो प्रति हेक्टेयर एवं कतार से कतार की दूरी 30 से.मी. (1 फीट) रखने पर अधिकतम उत्पादन लगभग 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक फसल की अवधि कम होते हुए भी 4. सोयाबीन किस्म जे.एस. 9305 (JS 9305)
सोयाबीन की यह नवीनतम किस्म जे.एस. 93-05 अभी हाल ही में अधिसूचित होकर जारी की गई है। जिसका पंजीयन क्रमांक 296022 है। यह किस्म जे.एस. 335 की तुलना में लगभग एक सप्ताह पूर्व पककर तैयार हो जाती है। इसकी अवधि लगभग 85-90 दिवस है तथा इसकी उत्पादन क्षमता शीघ्र पकने वाली अन्य किस्मों की तुलना में सबसे अधिक है और जे.एस. 335 के बराबर है।
अतः यह किस्म पूर्व में प्रचलित शीघ्र पकने वाली अन्य किस्मों को विस्थापित करने में सक्षम है। इस किस्म के दानों का आकार मध्यम, बोल्ड, रंग गहरा पीला आकर्षक चमकदार, काली नाभि, 100 दानों का वजन 12-13 ग्राम, अंकुरण क्षमता । ,
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