चालां वाही देस प्रीतम, पावां चालां वाही देस।।टेक।।
कहो कसूमल साड़ी रँगावाँ कहो तो भगवां भेस।
कहो तो मोतियन मांग भरावां, करों छिटकावां केस।
मीरां के प्रभु गिरधरनागर, सुणज्यो बिड़द नरेस।।
शब्दार्थ-चलां = चल। वाही = उसी। पावां = पांव। कसूमल = कुसुम के रंग की लाल। भगवां = सजा लें। छिटकावां = बिखरा दें। बिड़द = विरद यश। नरेश = नरेश, प्रियतम।
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