एक पिता की चार बेटी| चारों की अलग अलग किस्मत|पिता को बेटी पर हुआ गर्व| बाल विवाह @InspiringBarkat
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नमस्कार!“इंस्पायरिंग बरकत” चैनल में आप सबका दिल से स्वागत है।आज हम आपको सुनाएंगे, एक बाल विवाह के ऊपर कहानी। अगर आप हमारे चैनल पर नए हैं, तो प्लीज हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें। वीडियो को लाइक करें, और शेयर करें। यही कोई 40 50 साल पहले की बात है। जब बाल विवाह का बहुत ज्यादा प्रचलन था। लालपुर गांव के श्यामा प्रसाद, बहुत ही बड़े जमींदार थे। आसपास के इलाकों में, वो अच्छे खासे रईस माने जाते थे। उनके दो बेटे थे, राम और श्याम, उनकी पत्नी का नाम सुनैना था, और उनके पिता का नाम, जमुना प्रसाद था। उनकी माता यशोदा थी, और बड़े घर के लड़के, लाड प्यार में कहीं बिगड़ ना जाएं। इसलिए श्यामा प्रसाद ने अपने बच्चों को, उस स्कूल में भेजते थे जो कि, गांव से दो कोस की दूरी पर था। उस समय भी, उनके पास अपनी जीप थी, जो बच्चों को छोड़ने स्कूल जाती थी। राम 10 साल का था, और श्याम 6 साल का था। उसी गांव से थोड़ी दूर पर, हरपुर नाम का गांव था, जिसके बीच में एक नदी पड़ती थी, जिसमें नाव चलती थी। उसी गांव में सुखी राम रहते थे। वह एक किसान थे। उनके पास भी अपनी पुश्तैनी 10 बीघा जमीन थी, लेकिन वह कम उपज देती थी। कुछ खेत नदी के किनारे पड़ता था, उसमें फसल होती थी तो वह बाढ़ की वजह से नष्ट हो जाती थी। उनकी चार बेटियां थी। एक लड़का था। ......
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