पति और पत्नी के बीच शास्त्रों के अनुसार कैसा व्यवहार होना चाहिए ? गृहस्थ जीवन को कलह एवं क्लेश से बचाते हुए कैसे निभाएं एक दूसरे का साथ ? पतिव्रता स्त्री एवं पत्नीव्रती पुरुष का स्वभाव एवं प्रभाव कैसा होता है ? सब विस्तार से बताया निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु ने।
पति परमेश्वर के पूजन का पुराणोक्त मन्त्र ―
नमः कान्ताय भर्त्रे च शिवचन्द्रस्वरूपिणे (शिरश्चन्द्रस्वरूपिणे)।
नमः शान्ताय दान्ताय सर्वदेवाश्रयाय च ॥ १॥
नमो ब्रह्मण्यरूपाय सतीप्राणपराय च ।
नमस्याय च पूज्याय हृदाधाराय ते नमः ॥ २॥
पञ्चप्राणाधिदेवाय चक्षुषस्तारकाय च ।
ज्ञानाधाराय पत्नीनां परमानन्दरूपिणे ॥ ३॥
पतिर्ब्रह्मा पतिर्विष्णुः पतिरेव महेश्वरः ।
पतिश्च निर्गुणाधारो ब्रह्मरूप (निर्गुणाधारी ब्रह्मरूप) नमोऽस्तु ते ॥ ४॥
क्षमस्व भगवन् दोषं ज्ञानाज्ञानकृतं च यत् ।
पत्नीबन्धो दयासिन्धो दासीदोषं क्षमस्व मे ॥ ५॥
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