उम्र का कोई भी पड़ाव हो, दुनिया का कोई शहर हो, लेकिन मां के हाथों के बने खाने का स्वाद हमेशा याद रहता है, क्योंकि मां दिमाग से नहीं दिल से बनाती है व्यंजन। उसके स्नेह और ममता के मसाले बनाते हैं भोजन को लजीज.
टीवी पर एक विज्ञापन आपने देखा होगा जिसमें बहू अपनी सासू मां को फोन करके छोलों की रेसिपी के बारे में पूछती है। मां के कहे अनुसार छोले बनाती है। पति लौटता है तो घर में फैली खुशबू सूंघते ही कहता है- 'मां आई है क्या?' संदेश स्पष्ट है, मां के हाथ का स्वाद जुबान पर पहुंचने से पहले खुशबू मात्र ही मुंह में पानी ला देती है।
मां के हाथ के खाने का न कोई जोड़ है, न कोई तोड़। ऐसा इसलिए क्योंकि जब मां अपनी औलाद के लिए खाना बनाती है तो उसमें उसकी ममता, दुलार, स्नेह, लगाव सब कुछ समाया होता है। वह जब सामने बिठाकर अपने बच्चों को भोजन खिलाती है, उसे असीम खुशी मिलती है। उसका पेट उसी खुशी से भर जाता है।'
एक सर्वे के मुताबिक अधिकांश पुरुषों को अपनी पत्नी की जगह अपनी मां के हाथों से बना खाना ज्यादा पसंद आता है। वे कहते हैं पत्नी के हाथों में वह स्वाद नहीं आ पाता क्योंकि पत्नी
अकसर भोजन परोसने के बाद तारीफ होने की उम्मीद मन में रखती है। जबकि मां निश्छल
प्रेम का तड़का लगाकर भोजन बनाती है और दुलार से खिलाने में ही संतुष्ट हो जाती है।
इसलिए आज इस वीडियो मे बनाना सीखा रही हु माँ के हाथ के स्वाद वाले राजमा चावल
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