प्रिय दर्शकों जब कुंडली के किसी भाव में ग्रहों की युति हो तो इसे योग कहते है | यही योग राजयोग बन जाता है जब कुंडली में वो दोनों ग्रह श्रेष्ठ अवस्था में बैठे हो या योग कारक हो | देखा जाये तो वो ग्रह जो कुंडली में कारक न हो योग तो भी बना सकते है प्रभाव उनका भी मिलता है लेकिन वो प्रभाव थोडा कम होता है |
PT.NARMDESHWAR SHASTRI
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