#जो_तुम_आ_जाते_एक_बार_कितनी_करुणा_कितने_संदेश_पथ_में_बिछ_जाते_बन_पराग
#Poetry By #Mahadevi Verma
कविता :- जो तुम आ जाते एक बार!
जो तुम आ जाते एक बार!
कितनी करुणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग;
गाता प्राणों का तार-तार
अनुराग भरा उन्माद राग;
आँसू लेते वे पद पखार!
हँस उठते पल में आर्द्र नयन
धुल जाता ओंठों से विषाद,
छा जाता जीवन में वसंत
लुट जाता चिर संचित विराग,
आँखें देती सर्वस्व वार!
महादेवी_वर्मा हिन्दी की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से हैं।
वे हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती हैं। आधुनिक हिन्दी की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है।
कवि निराला ने उन्हें “हिन्दी के विशाल मन्दिर की सरस्वती” भी कहा है।
महादेवी वर्मा का जन्म होली के दिन 26 मार्च, 1907 को फ़र्रुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था
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