Bhajan - Mhalasapati re - Shri Manik Prabhu Maharaj Sung by Shri Anandraj Manik Prabhu
अर्थ: रे म्हालसापति मल्हारी, मैं तुम्हारा नाम लेकर भिक्षा माँगूगा॥ध्रु.॥
मैं अपने इस देह को ही भिक्षा का पात्र (कोटुंबा) बनाकर ‘हंस: सोऽहं’ इस मंत्र का अजपाजप करते हुए विचरण करूँगा॥1॥
मैं वासनाओं को फोड़कर उनका हरिद्राचूर्ण बनाऊंगा और उसे अत्यंत प्रेम से तुम पर उड़ाऊंगा॥2॥
माणिक दास कहता है कि वह कुत्ता बन कर तुम्हारे महाद्वार की देहलीज पर पड़ा रहेगा॥3॥
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