सामान्य शब्दों में सबसे बड़ा पाप दूसरों का अहित करना है और किसी जरूरतमंद व्यक्ति की बिना किसी स्वार्थ के मदद करना यानि परोपकार करना सबसे बड़ा पुण्य है | जरूरतमंदों की सहायता करना ही सबसे बड़ा पुण्य | पाप - ऐसा व्यवहार जिससे किसी निर्दोष व्यक्ति को दुख पहुंचे ऐसा व्यवहार पाप कहलाता है।चाहे वो व्यवहार किसी भी तरह से अर्थात मन,वचन,और कर्म किसी से भी हो।
पुण्य- पुण्य की परिभाषा ठीक पाप के विपरीत है।ऐसा व्यवहार उचित व्यवहार जिससे किसी भी व्यक्ति को लाभ हो लेकिन लाभ ऐसा होना चाहिए जो किसी को हानि पहुंचा कर न किया गया हो। तो ऐसा किया गया व्यवहार पुण्य है। 🔴 RECOMMENDED VIDEOS
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