सियावर रामचंद्र की जय, जय श्री राम।।
Credits ::-
GHOR SANATANI
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हर हर महादेव, ॐ नमः शिवाय
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LYRICS ::-
मैं राजा भरत का वंशज हूं, भारतवासी कहलाता हूं
जिस सत्य से तुम वंचित हो ,वो सत्य में तुम्हे बताता हूं
जो हमको कभी बताया ना
मैं राज बताने आया हूं,
कुछ लोगो को बर्दाश नही
जो आज बताने आया हूं
मेरे देश को पहले बाट दिया
कभी मजहब पर,कभी जाति में
जो धर्म न छोड़े काट दिया
और दबा दिया इस माटी में
ये आजादी नहीं मिली हमे
किसी गांधी जी के डंडे से
वो वीर भगत लटकाया था
हाय फांसी के उस फंदे पे
तुम खुदको हिंदू कहते हो
और हिन्दी भाषा बोलते हो
पर हिंदी शब्द है उर्दू का
फिर क्यों उर्दू नहीं बोलते हो
जब धर्म सनातन अपना हैं
और संस्कृत है भाषा भी
क्या मंदिर देश में बचे नही
जो जाके टेक ते माथा नही
तुम चादर बहा चढ़ाते हो
जो देश को खा गए आधा जी
((तुम जाके सीस नवाते हो
जो देश को खा गए आधा जी )) - 2
2. अरे केसे तुम सब भूल गए
जो वीर कभी कुर्बान हुए
जो देश के खातिर मिट गए
कुछ बालक और जवान हुए
तुम 26/11के मुलजिम को
बिरयानी खिलाते हो
तुम पुलवामा के हादसे के दिन
वेलेंटाइन मानते हो
तुम्हे वीर शिवाजी याद नहीं
और महाराणा को भुलोगे
वो कैप्टन विक्रम बत्रा थे
जो लिपटे आए फूलो में
तुम चर्म के भूखे खुदकी तुलना
करते कृष्णा राधा से
तुम कृष्ण को अलग समझते हो
और वंचित रह गए राधा से
तुम्हे शिव शक्ति का ज्ञान नहीं
जो श्रृष्टि परम विधाता है
वो मेजर युनिकृष्णन थे
जो ताज से सबको बताता है
((प्रिंस रावण का अभिमान नहीं
श्री राम की महिमा गाता हैं)) -2
तुम्हे राम राम में शर्म लगे
हाय hlo तुमको कूल लगे
जो माथे तिलक लगाते हैं
वो फिर क्यों तुमको फूल लगे
गर गऊ हमारी माता है
तो बैल भी अपना बाप हैं
गर गाय में सीता बस्ती है
तो बैल में बसते राम है
क्यों दूध बंद होजने पर
गऊ बुझद्द खाने बेचते हो
जिसे माता अपनी कहते थे
फिर उसी के मांस को सेकते हो
अरे शर्म करो तुम मांस खाके
खुदको धर्मी कहते हो
तुम राक्षस हो, अज्ञानी हो
जो इंसा भेष में रहते हो
अरे रावण तुम जलाते हो
मां सीता को उठाने पर
फिर क्यों तुम सब मौन रहे
वहा निर्भया काण्ड होजने पर
जो नगालैंड में नंगा करके
बहनों को घुमाया था
क्या उन कुत्तों को पकड़ के
तुमने चौक में जिंदा जलाया था
अरे छोड़ो तुम सब भूल गए
ये भूमि हैं मां झांसी की
जो अंग्रेजो की काल बनी
कभी परवाह न की फांसी की
जो सत्य वचन तुम्हे कहता है
क्यों विपरीत तुम्हे विलोम लगा
मैं परम धर्म सनातनी हूं
मैने पुत्र का नाम भी ॐ रखा
कभी म्यांमार,कभी श्री लंका
अफगानिस्तान ,नेपाल बना
फिर बांग्लादेश भूटान बना और
अंत में पाकिस्तान बना
अरे कितने टुकड़े किए गए
अभी और भी होने बाकी हैं
गर हिन्दू नींद से जागा न
देश की तय बर्बादी है
क्या देश सिर्फ ये मेरा है
यहां गदारो का डेरा है
तुम गूंगे अंधे बने रहो
तुम्हे अंधेरे ने घेरा है
अरे हमने चारो वेद लिखे
और हम ही देश की मूल है
बोले रामायण काल्पनिक
ये बस तुम्हारी भूल है
यह भूमि ऋषि कस्यप की
इच्वाकू वंश हमारा है
हम राजा भरत की संताने
वो रघुकुल अंश हमारा है
अरे द्रौपदी का मान बनो
मां सीता का अभिमान बनो
तुम गर्म खून के प्याले हो
और बोहुत ही किस्मत वाले हो
जो भारत में तुम जन्मे हो
जहां ब्रह्मा विष्णु मन में हो
जहा पशु भी पूजे जाते है
और पौधे का भी मोल है
जहां नदियों को मां कहते है
और मीठी वाणी बोल है
यहां परशुराम का क्रोध भी है
और गीता ज्ञान का बोध भी है
51 शक्तिपीठ भी है
मां वैष्णो,नैना ज्वाला जी
यहा खाटू श्याम भी बस्ते है
बस्ते सालासर बालाजी
((यह भूमि वीर जटायु की
नही बाबर और हुमायूं की )) - 2
जो बटवारे के वक्त वहां
रुके सोच देश ये मेरा है
अरे जाके उनका हाल देखो
अंतकवाद ने घेरा है
वहा छोटी छोटी हिंदू
लड़की घर से उठा ली जाती है
वो माने या न माने
बेगम उनकी बनाली जाति हैं
वहां होली पर पाबंदी है
दिवाली मनाना जुर्म है
जो इजराइल में किया गया
अरे सबसे बड़ा कुकर्म है
की नूह में पथरवाजी तुमने
हरियाणा में दंगा भी
जो अबतक होता आया
किया अंत में हिंदू नंगा जी
कुछ दल्ले उठके कहते
हम सब आपस में है भाई भाई
कश्मीर फाइल्स तुम जाके देखो
भूल जाओगे कहना भाई
क्या गिरजा टीकू भूल गए
जो बीच से काटी आरी से
अरे बचा उसका देखा रहा था
रेप किया उस नारी से
कश्मीर तुम्हारे बाप का नही
जो छुपके बैठे आड़ में
गर बच्चा बच्चा मुत्ते यहां का
डूब जाओगे बाढ़ में
अरे भारत देश में एक ही नारा
राम राम का गूजेगा
हम चांद पे पोहंचे
देख तरक्की मुंह तुम्हारा सुजेगा
तुम सरस्वती की वीना हो
तुम कृष्णा बनकर हस्ते थे
तुम हनुमान का सीना हो
जहा सिया राम जी बस्ते थे
तुम शिवजी का त्रिशूल भी हो
और डमरू नंदी नाग हो
तुम लक्ष्मी जी के फूल भी हो
और संतो का वैराग हो
तुम अर्जुन कर्ण की शान हो
और एकलव्य का दान हो
तुम शबरी की प्रतीक्षा हो
द्रोणाचार्य की शिक्षा हो
तुम अभिमन्यु की वीरगति
तुम पार्वती और मां सत्ती
तुम दुर्गा मां के बाण भी हो
तुम बद्री और केदार भी हो
तुम महाभारत की गाथा हो
और गीता जी का सार भी हो
तुम गोकुल हो , वृंदावन हो
तुम जल हो वायु पावन हो
तुम अग्नि हों तुम सागर हो
तुम अमृत प्रेम उजागर हो
तुम जम्मू और कश्मीर भी हो
तुम सतलुज व्यास का नीर भी हो
तुम शेषनाग बलराम भी हो
तुम रघुवंशी श्री राम भी हो
तुम कंस को मारने वाले हो
और कौरव हारने वाले हो
तुम ही थे बैठे हिमालय में
नालंदा विश्वविद्यालय में
तुम ऋषिकेश गंगाजल हो
और आने वाला तुम कल हो
वो तुम ही थे जो बीत गए
और तुम ही हो जो बीतोगे
अरे एकजुट तुम होकर देखो
हरबार फिर जीतोगे हरबार तुम जीतोगे
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