#karn #krishna #karn_status
हे मृत्यु तैयार यदि तू
आने को प्रसन्न मुख आ
द्वार खुला हे तेरा स्वागत
वीर खड़ा द्वारे अब आगत
बाँहें फैला के मुस्कुराके
करता अपने अथिति का स्वागत
वीर गति पाके एक बालक
आया तेरे आँचल छाया
पिता की गोद में खेल सका ना
तेरी गोद में सोने आया
सपना था वो विवश पिता का
उसकी हर आशा हे टूटी
काँधे चढ़े पुत्र की अर्थी
ये पीड़ा हे सबसे अनोखी
हर बोझ हे छोटा इसके आगे
पिता पुत्र को हि दे अग्नि
अश्रु हे बहे आज अंगारे
आग नहीं आज ये बुझनी
द्वार खड़ा तेरे अब आगत
कर अपने अतिथि का स्वागत ।।
![](https://s2.save4k.ru/pic/f5YiaOump4k/maxresdefault.jpg)