लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) और म्यूजिक कंपोजर सी. रामचन्द्र (C. Ramchandra ) की जोड़ी ने बहुत से सुपरहिट गाने दिए लेकिन फिर अचानक रामचन्द्र का करियर खत्म हो गया। साल था 1962 का और भारत अपने दुश्मन चीन से युद्ध हार चुका था. युद्ध में मिली हार की मायूसी हर भारतवासी के चेहरे पर झलकती थी. फोन की घंटी बजती है, एक म्यूजिक डायरेक्टर फोन का रिसीवर उठाकर हैलो बोलता है. सामने से आवाज आती है कि, 'मैं प्रधानमंत्री कार्यालय से बोल रहा हूं. सेना के वीरों को श्रद्धांजलि देने के लिए 1 गाना बनाना है, इसके लिए आपको 1 हफ्ते का समय दिया गया है. ये प्रस्ताव प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भेजा है.' ये बात सुनकर म्यूजिक कंपोजर के होश फाख्ता हो गए. कंपोजर और सिंगर ने अपने सुरों का साधा और एक धुन बनाई. धुन तैयार हुई और कवि प्रदीप को बोल लिखने का आदेश दिया गया. बोल भी लिख चुके थे और गाना गाने के लिए तला मंगेशकर का नाम तय किया गया. फिर गाना रिकॉर्ड हुआ. प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू खुद इस गाने को सुनने के लिए स्टेज पर पहुंचे और लता ने गाना गया... 'ये मेरे वतन के लोगो, जरा आंख में भर लो पानी, जो शहीद हुए हैं, उनकी जरा याद करो कुर्बानी'. ये गाना सुनकर प्रधानमंत्री नेहरू की भी आंखों से आंसू छलक पड़े. इस गाने को तैयार किया था दिग्गज म्यूजिक डायरेक्टर सी रामचंद्र ने. सी रामचंद्र एक बेहद जहीन संगीतकार थे और सुरों के जादूगर ने बॉलीवुड को कई सुपरहिट गाने दिए हैं. लेकिन सी रामचंद्र का पूरा करियर लता मंगेशकर के गुस्से और गुरूर का शिकार हो गया.
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