उत्तराखंड के #Uttarkashi उत्तरकाशी जिले का #purola शहर फिलहाल #communaltension में है. 29 मई को यहां बजरंग दल और भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय पदाधिकारियों ने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ एक रैली निकाली. इसमें करीब 1000 लोग शामिल हुए.
रैली के दौरान बेकाबू भीड़ ने मुस्लिम दुकानदारों की दुकान पर लगे फ्लेक्स और होर्डिंग फाड़ दिए और कुछ जगहों पर तोड़फोड़ की. साथ ही यहां मुस्लिम समुदाय की दुकानों को चिन्हित कर उन पर चेतावनी भरे पोस्टर भी चस्पा किए गए, जिनपर 15 जून से पहले इन लोगों को शहर छोड़ने को कहा गया है.
पोस्टर में लिखा था, "लव जिहादियों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 15 जून 2023 को होने वाली महापंचायत से पूर्व अपनी दुकानें खाली कर दें. यदि तुम्हारे द्वारा ऐसा नहीं किया जाता तो वह वक्त पर निर्भर करेगा. देवभूमि रक्षा अभियान."
गौरतलब है कि पुरोला शहर में कुल 400 दुकानें हैं. जिनमें मात्र 40 से 42 दुकानें ही मुस्लिम समुदाय की हैं. 29 मई को हुई रैली के दौरान तोड़फोड़ और दुकानों पर लगाए जाने वाले चेतावनी भरे पोस्टर के बाद मुस्लिम दुकानदारों ने पुरोला से पलायन शुरू कर दिया.
नतीजा यह है कि अब पुरोला में ज्यादातर मुस्लिम व्यापारी अपनी दुकान छोड़कर जा चुके हैं और कुछ व्यापारियों ने अस्थाई रूप से अपनी दुकान बंद कर रखी हैं.
दरअसल, सांप्रदायिक तनाव और मुस्लिम व्यापारियों के पलायन के पीछे की वजह 26 मई को हुई एक घटना है. इसके बाद पूरे इलाके में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आक्रोश बढ़ा हुआ है.
हमने इस पूरे मामले को समझने के लिए स्थानीय दुकानदारों और निवासियों से बात की. हमने जानना चाहा कि आखिर 29 मई को ऐसा क्या हुआ कि अब मुस्लिम समुदाय के लोग यहां से पलायन करने को मजबूर हैं. देखिए पुरोला से हमारी ये रिपोर्ट.
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