Vinayak ji ki katha padhne k liye - [ Ссылка ]
एक सास बहू थी । सास उसकी यह को खाना नहीं देती थी । बहू रोज नदी पर जाती । जाते समय घर से आटा ले जाती, नदी से पानी लाती, आटा गूंथती । पंसारी की दुकान से थोड़ा गुड़, घी खरीद लाती और शमशान की चिता पर रोटी सेकती । रोटी चूरकर घी, गुड़ डाल चूरमा बनाती । पास ही मंदिर में विनायक जी की पूजा करके भोग लगाती और फिर खुद खा लेती। ऐसा बहुत दिन तक चलता रहा । विनायक जी को ऐसा देखकर बहुत अचम्भा हुआ और उन्होंने अपने मुंह में उंगली रख ली ।
Vinayak Ji ki Kahani
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