रात अंधेरी बाबा डर लागै स, काली रात अंधेरी में
एक रात काटूंगी हो बाबा, कुटिया तेरी में
सखियां के संग आया करती, कदे एकली आई ना
आंधी में मेरी सखी बिछड़गी, टोहे त भी पाई ना
टोहे त भी वे पाई कोन्या, गाडी नगाह भतेरी मनै
एक रात काटूंगी हो बाबा, कुटिया तेरी में
रात अंधेरी बाबा डर लागै स, काली रात अंधेरी में
रात अंधेरी बण के बचाले, काम नहीं र हाड़े बीरां का
साधु संत एकले हों राजी, करते साधना शरीरां की
रात अंधेरी बाबा डर लागै स, काली रात अंधेरी में
तकदीरां के पासे र पड़गे, आण फसा बड़बेरी में
एक रात काटूंगी हो बाबा, कुटिया तेरी में
कसाण माला मेरी बाहर काढ़ दे, र बैठ जा इस कुटिया में
रातूं शेर दहाड़ेंगे र, तू सोइए साकल भेड़ क न
एक रात काटूंगी हो बाबा, कुटिया तेरी में
रात अंधेरी बाबा डर लागै स, काली रात अंधेरी में
आधी लग तो भजन करा था, आधी पाछे मन फरग्या
असल बीर न खोली कोन्या, र अपणे आली हद करग्या
रात अंधेरी बाबा डर लागै स, काली रात अंधेरी में
छात पाड़ क बाबा बड़ग्या, रस्सी गेर मंडेरी प
एक रात काटूंगी हो बाबा, कुटिया तेरी में
बत्ती जला क देखण लाग्या, आप गुरु माला फेरे
देखी र चेले देखी र चेले, देखी तेरी हथफेरी र
हाथ जोड़ बाबा पाहयां में पड़ गया गलती माफ करो म्हारी
एक रात काटूंगी हो बाबा, कुटिया तेरी में
रात अंधेरी बाबा डर लागै स, काली रात अंधेरी में
हरियाणवी गीत 93
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