"प्रेम ते प्रकट होहिं मैं जाना"
ईश्वर की प्राप्ति तर्क से नहीं अपितु समर्पण से होती है अर्थात श्रद्धा, विश्वास, प्रेम, पुकार, प्रतीक्षा आदि गुण जब तक साधक के हृदय में नहीं होंगे तब तक साधक अपनी मंजिल से दूर ही रहेगा....
इसीलिए कहा गया है....
यार की मर्ज़ी के आगे, यार का दम भरके देख__
तर्क से मिलता नहीं, अर्ज़ कर के ही तू देख_
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