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Lyricist trapped around woman's separation and love
स्त्री के वियोग और प्रेम के इर्द गिर्द फंसा गीतकार
Why was there an allegation of song theft?
ये गीत ऐसा मनोहारी था कि अपने दौर में हर किसी की जुबान पर चढ़ गया था। इस गीत के बोल इतने प्यारे थे कि दिल को छू जाते थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके गीतकार इंदीवर ने खुद स्वीकार किया कि इसका मुखड़ा उन्होंने एक महान कवि की कविता से चुराया है, जबकि उस कवि को इसपर कभी कोई ऐतराज नहीं हुआ। इंदीवर साहब के इस गीत ने उन्हें ऐसा चोर साबित कर दिया कि उन्हें इस गाने के एलबम से अपना नाम तक वापस लेना पड़ा, जबकि वास्तव में मुखड़े को छोड़कर पूरा गीत उन्होंने ही लिखा था। किस तरह एक फिल्म डायरेक्टर की शादी टूटने पर इंदीवर साहब ने उसे बनाया अपने सुपरहिट गाने का सबजेक्ट? और कौन सा था वो क्लिष्ट हिंदी का गीत जिसे गाने में मुकेश जी को करने पड़े 88 रीटेक? जानेंगे औऱ भी बहुत कुछ बस बने रहिए हमारे साथ।
बॉलीवुड के गीतों में हिन्दी और संस्कृत को एक सम्मानजनक स्थान दिलाने वाले गीतकार इंदीवर ने करीब पांच दशकों तक श्रोताओं और दर्शकों के दिलों पर राज किया। जिस दौर में भारतीय फिल्म जगत पर उर्दू और फारसी के जज्बातों की बहार थी उस दौर में इंदीवर ने संस्कृतनिष्ठ हिन्दी का ऐसा प्रयोग किया कि लोग मंत्रमुग्ध रह गये। हां, इतना जरूर हुआ कि उनके गीतों को गाने में कई गायकों को भारी मशक्कत करनी पड़ी। इस गीत को गाने वाले मुकेश साहब की
]कहानी सुनिए खुद इंदीवर साहब की जुबानी।
इंदीवर के नाम से मक़बूलियत हासिल किए हुए इन गीतकार का असली नाम श्यामलाल बाबू राय था। 1924 में इनका जन्म उत्तर प्रदेश के झांसी में हुआ था। इंदीवर की गीतकार बनने की बचपन से ही दिली तमन्ना थी। एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाले इंदीवर के लिए ये ख़्वाब मुश्किल था, नामुमकिन नहीं और इसी ख़्वाब का दामन थामकर वो मुंबई सा किसी ने मेरा तोड़ा', 'आप जैसा कोई मेरी ज़िन्दगी में आये', 'होठों से छू लो तुम', 'दुश्मन न करे दोस्त ने वो काम किया है' इंदीवर साहब समय के साथ ढलने वाले रचनाकार थे। संगीतकार मदन मोहन और रोशन के दौर में उन्होंने कई ऐसे गाने लिखे जो शब्दों की कसौटी पर हमेशा खरे रहे। जब कल्याण जी आनंद जी और बप्पी लाहिड़ी का दौर आया तो उन्होंने युवा दिलों की आवाज बनने से भी गुरेज नहीं किया। लेकिन इतना जरूर था कि हर दौर में इंदीवर साहब के गीत उनकी कल्पना को किसी और दुनिया में ले जाते हैं। उन्होंने परिस्थितियों के अनुसार भी गीत लिखे। फिल्मी पत्रकारिता पर आधारित मशहूर पुस्तक अभिव्यक्ति के इंद्रधनुष में लेखक देवमणि पांडेय ने उनके बारे में कई दिलचस्प वाकये लिखे हैं। एक बार मशहूर फिल्म निर्देशक चंद्र बरोट अपनी सगाई करने के बाद किसी काम से अमेरिका चले गये। जब वो महीने
मनोज कुमार को भारत कुमार बनाने में इंदीवर साहब का बड़ा योगदान रहा है। ' मेरे देश की धरती सोना उगले-उगले हीरे-मोती', 'है प्रीत जहां की रीत सदा मैं गीत वहां के गाता हूं, भारत का रहने वाला हूं भारत की बात सुनाता हूं', इन गीतों को लिखकर उन्होंने मनोज कुमार को नए ख़िताब से नवाज़ा। इंदीवर साहब की जोड़ी संगीतकार कल्याणजी-आनंदजी के साथ ख़ूब जमी और इस जोड़ी ने कई दशकों तक श्रोताओं को एक से बढ़कर एक नग़में परोसे। ऐसी फिल्मों में उपकार, दिल ने पुकारा, सरस्वती चंद्र, पूरब और पश्चिम, जॉनी मेरा नाम, यादगार, सफर, सच्चा झूठा, पारस, हेराफेरी, डॉन, उपासना, कसौटी, धर्मात्मा, क़ुर्बानी प्रमुख हैं। कल्याणजी-आनंदजी के अलावा इंदीवर के पसंदीदा संगीतकारों में बप्पी लाहिरी और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जैसे संगीतकार भी शामिल हैं। इसके अलावा उनके गीतों ने अपने ज़माने में सुपर स्टार राजेश खन्ना को एक अलग पहचान दिलायी।
इंदीवर साहब ने अपने गीतों से फ़िल्म निर्माता-निर्देशक राकेश रोशन की फ़िल्मों को हिट कराने में अहम योगदान दिया। जब तक इंदीवर साहब इस दुनिया में रहे, राकेश रौशन की फिल्मों के लिए गाने लिखते रहे। फ़िल्म किंग अंकल का गाना, इस जहां की नहीं हैं तुम्हारी आंखें, आसमां से ये किसने उतारी आंखें, हो या करन-अर्जुन का जाती हूं मैं, जल्दी है क्या? प्यार से भरपूर ये दोनों ही गाने ज़बरदस्त हिट साबित हुए। इन्हीं राकेश रोशन के संगीतकार भाई राजेश रोशन ने उन्हें एक गीत का मुखड़ा देते हुए उसपर गीत लिखने को कहा। इंदीवर साहब ने एक बेहद रोचक गीत रच डाला। लेकिन जब ये गाना उनके नाम से रेडियो पर बजा तो एक दूसरे गीतकार विट्ठल भाई पटेल ने उनपर मुकदमा ठोक दिया। बाद में पता चला कि ये मुखड़ा विट्ठल भाई पटेल ने कुछ साल पहले राजेश रोशन को सुनाया था। इंदीवर साहब ने फौरन निर्माता व म्युजिक कंपनी से कह कर गीतकार के रूप में पटेल साहब का नाम दर्ज करवाया।
गजल गायक जगजीत सिंह की आवाज में इस गीत को शायद ही किसी ने नोटिस न किया हो। यह गीत बाद में एक फिल्म में भी आया। लेकिन इस गीत के बारे में इंदीवर साहब ने खुद बताया है कि यह मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन की एक कविता पर आधारित है। सुनिए उन्हां की जुबानी।
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