Part 1/6-धर्म का दर्शन और उसके मूल्यांकन के मानदंडों का निर्धारण ।
Philosophy of Hinduism - हिन्दू धर्म का दर्शन।
अपने इस विश्लेषण में Dr.Ambedkar ने मनु समृति के आधार पर हिन्दू धर्म के दर्शन और उसके मूल्यों की कुछ कसौटियों पर परख की है।
उन्होंने अपना विश्लेषण मुख्यतः मनु स्मृति पर केंद्रित रखा है क्योंकि मनु को हिन्दुओं का "Law-Giver" कहा जाता है।
हिन्दू समाज की रचना और संचालन मनु समृति बताती है.
विभिन्न वर्णो को परस्पर कैसा व्यव्हार करना चाहिए , उनके आचरण, उनकी दंड पद्धति इसमें दी गयी है
Dr.Ambedkar ने ये जांचने की कोशिश की है कि क्या हिन्दू धर्म उनके आदर्श, स्वतंत्रता समता और भ्रातृत्व की कसौटी पर खरा उतरता है?और क्या हिन्दू धर्म पर आधारित समाज इन मूल्यों पर चल सकता है ?
इसे सीमित दायरे में किया गया विश्लेषण कह कर इसकी आलोचना तो की जा सकती है परन्तु किसी भी सूरत में इसे नाकारा नहीं जा सकता जब तक की मनु स्मृति या वैसे ही नियमों अथवा दर्शन का प्रचार करने वाले समानांतर ग्रंथों की एहमियत को ना नकार दिया जाये।
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