सुचनाए मिली की युद्ध के लिए तैयार हो जाओ...
रणभेरीया बजवा दो।
योजनाएं बनने लगीं की कैसे लड़ेंगे
मात्र हजार लाखों से हम केसे भिड़ेंगे।
किंतु साहसी सिपाही पिछे ना हटे,
कहा सभी लड़ेंगे चाहे गर्दनें कटे,
योद्धा वही जो युद्ध अंत तक हे लड़े,
योद्धा वही जो प्राण हाथों में लिए खड़े,
योद्धा वही जो विर का आयाम गड़ सके,
योद्धा वही जो बेरीयो की छाती चड़ सके,
ये रण का वीर योद्धा, रण लाशों से पाटेगा,
एक राजपूत दस मुगलों को काटेगा।
योजनाएं बनती हे तो सभा बुलाई महाराणा ने,
बोले सारे विरो से,,,,
तलवारों मे धार लिए , वो बोले उन रणधीरों से
बोले वीर समय निकट हे शिश धरा को अर्पण का,
बोले वीर समय निकट हे शिश धरा को अर्पण का,
बोले वीरों समय निकट हे तन मन सर्वस्व समर्पण का,
जन्मभूमि से बड़कर हे दुनिया में कोई महान नहीं
जो जान देशहित के काम ना आए,
वो जान कोई वो जान नहीं,
रण मे कुम्भा सांगा से करतब तुमको दिखलाने हे
शशक्त राष्ट्र की नींव रखे करतब एसे आजमाने है।
विजय अजय का शोर मचा दो शत्रु जो घबरा जाए
निश्चित एसा करना होगा जो अपना परचम लहराये,
तुमसे बच कर वो भाग उठे, एसा हो कोई द्वार नहीं,
हो जिसमें तिखी धार नहीं, उसे मानों तलवार नहीं।।।
तो सुनो सुनो वो संवाद सुनो वो राणा व हल्दीघाटी का
रंग पिला हे रक्त पड़ा जब लाल हुई माटी का
घाटी बोली होगी रण मे मे प्रत्यक्ष रहुंगी,
तेरे तैवर इतिहासों मे चिख- चिख कहूँगी,
तू वक्स तान के खड़ा रहे बस इतना मेरा निवेदन,
भाले को तैयार करो तुम शत्रु का ही अभेदन,
तो नमन किया राणा ने हल्दीघाटी को रूक कर के
नमन किया राणा ने हल्दीघाटी को झुक कर के
राणा बोले होंगे मेरी मिट्टी तुमको नमन आज करता हूँ,
तू मिट्टी स्वाभिमानी, तेरे चरण शिश धरता हूँ
तेरी गाथा आगे चल सोते को यहाँ जगाएगी,
तेरी मिट्टी का दुनिया माथे से तिलक लगाएगी।।
✍🏻कवि कुलदीप महाबली
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