भाई भाई (1956) एक तमिल फिल्म Ratha Paasam का हिंदी रीमेक थी. बचपन में बिछड़े भाइयों की कहानी पर आधारित melodramatic फिल्म होते हुए भी ये फिल्म hit हुई क्योंकि इसमें अशोक कुमार, किशोर कुमार, निम्मी, श्यामा जैसे नामी सितारे थे. और मदन मोहन जी का संगीत. गीतकार थे राजिंदर कृष्ण. गीता दत्त जी का गाया “ऐ दिल मुझे बता दे” इस फिल्म का सबसे लोकप्रिय गीत था. लता मंगेशकर जी की गायकी की 60 साल की आंधी में आशा जी का अपवाद छोड़ दें तो बड़े बड़े वृक्ष उखड गए और कई नामों पर गुमनामी की धुल जम गयी. लेकिन एक नाम जो आज भी लोग नहीं भूले वो नाम है गीता दत्त जी का. Nov 1930 में जन्मीं गीता जी ने 16 साल की उम्र में ही playback की दुनिया में कदम रखा और सब संगीतकारों की पसंदीदा गायिका बन गईं. किसी भी तरह का गीत हो गीता की आवाज़ उसी ढंग में ढल जाती. चाहे क्लब डांस “मेरा नाम चुन चुन चू” (हावड़ा ब्रिज) हो या "नन्ही कली सोने चली" (सुजाता) की लोरी हो या “न जाओ सैयां छुड़ाके बैंयां (साहब बीबी और ग़ुलाम) का दर्द भरा गीत हो या “सुन सुन सुन सुन ज़ालिमा (आर पार) का नटखट romantic duet हो. उनकी इसी Unique आवाज़ ने संगीतकारों को हमेशा प्रभावित किया. महान फिल्मकार गुरु दत्त जी की पत्नी होने के बावजूद उनका पारिवारिक जीवन कभी सुखी नहीं रहा. रही सही कसर 1964 में गुरु दत्त की आत्महत्या बाद शराब की लत ने पूरी कर दी. और एक अनोखी और Unique आवाज़ की मलिका गीता दत्त ने July 1972 में केवल 41 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया.
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