अकूत धन-संपदा के साथ भारत को कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था लेकिन बदलते वक्त के साथ अलग-अलग आक्रमणकारी खजाना लूटते रहे। कभी मुगलों ने खजाने पर नजरें गड़ाईं तो कभी अंग्रेजों ने लूट को अंजाम दिया। भारत की संपन्नता का अंदाजा उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में खनिजों की बड़ी मात्रा से लगाया जा सकता है। कई वर्षों से हो रही खनिज तत्वों की खोज के बीच जमीन के भीतर करीब 12 लाख करोड़ रुपये के छिपे सोने की बात सामने आई है। जिले के कई भू-भागों में हेलिकॉप्टर से भू-भौतिकीय सर्वे किया जा रहा है। इस सर्वेक्षण में कुछ खास उपकरणों के सहारे सोने की लोकेशन का पता लगाया जा रहा है। इन उपकरणों का कुछ भाग हेलिकॉप्टर के नीचे लटका रहता है जो कि जमीन की सतह से 60-80 मीटर की ऊंचाई पर उड़ते हुए सर्वेक्षण करता है। वैसे ये कोई पहला मौका नहीं है जब खनिजों के इतने बड़े भंडार का पता चला हो। दक्षिण अफ्रीका में सोने की खदानें इसे 'सिटी ऑफ गोल्ड' का दर्जा दिलाती थीं। अब सोनभद्र की सोन पहाड़ी में बड़ी मात्रा में सोना पूरे विश्व की निगाहों में चमक उठा है। साल 2018 में एक ख़बर आई थी कि ऑस्ट्रेलिया में खदानों के खनन के दौरान सोने की दो चट्टानें मिलीं। इनकी कीमत 80 करोड़ रुपये आंकी गई थी। ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका की खदानों की फेहरिस्त में सोनभद्र का भी नाम अब पीली चमक से खिल उठा है। अभिलेखों के मुताबिक, सोनभद्र में सबसे पहले 1980 के दशक में सोने की खोज की गई थी। इसके बाद दूसरी बार कोशिश 1990-1992 में की गई। इस दौरान सोने की जगहों को चिह्नित किया गया था। तीसरी और चौथी कोशिश 2005 से 2012 के बीच की गई। भू-भौतिकीय सर्वे के दौरान पता चला कि सोनांचल की पहाड़ी में सोने के साथ लोहा सहित भारी मात्रा में दूसरे खनिज भी दबे हैं। जिले के कई भू-भागों में हेलिकॉप्टर से भू-भौतिकीय सर्वे जारी है।
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