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इस्लाम में पतंग उड़ाना नाजायज व हराम
रईस शेख,मुरादाबाद महानगर हो या ग्रामीण क्षेत्र। बच्चे अकसर पतंग उड़ाते हुए देखे जा सकते हैं। स्कूलमहानगर हो या ग्रामीण क्षेत्र। बच्चे अकसर पतंग उड़ाते हुए देखे जा सकते हैं। स्कूल की छुट्टी हो या दीगर त्योहार के मौके पर तो ये शौक और भी बढ़ जाता है। लेकिन इस्लाम में पतंगबाजी को नाजायज व हराम करार दिया गया है। उलेमाओं ने चाइनीज मांझे से इंसानी जिंदगी को भी खतरा बताया है।
उलेमा-ए-दीन फरमाते हैं कि पतंगबाजी करना इस लिए जायज नहीं है कि जिस तरह कबूतरबाजी में खराबिया हैं उसी तरह पतंगबाजी में भी हैं। हदीस शरीफ में है कि हजरत मुहम्मद स. ने एक शख्स को देखा कि वो एक कबूतर के पीछे दौड़ा जा रहा है। आप स. ने फरमाया कि एक शैतान दूसरे शैतान के पीछे दौड़ा जा रहा है।पतंगबाजों की एक आदत दूसरे की पतंग पकड़ने की भी होती है। जो सरासर गजब व जुल्म है। हदीस शरीफ में है कि अगर किसी का हक किसी के जिम्मे रह गया होगा तो कयामत के दिन जालिम की नेकियां मजलूम को और मजलूम के गुनाह जालिम को दे दिए जाएंगे। फिर जालिम को दोजख में डाल दिया जाएगा। किसी की पतंग लूटने को भी हजरत मुहम्मद स. ने ईमान की खसलत के खिलाफ बताया है।मजहब-ए-इस्लाम में आया है कि पतंग की डोर लूट लेना, पतंग लूटने से भी ज्यादा खतरनाक है। उलेमा फरमाते हैं कि पतंग तो एक ही शख्स के हाथ में आती है तो एक ही आदमी गुनहगार होता है। लेकिन डोर तो अनेक लोगों के हाथ लगती है। लिहाजा बहुत से आदमी इस गुनाह में शरीक होते हैं। मगर उन सबके बराबर गुनहगार दौड़ने वाला शख्स होता है। पतंगबाजी में हर शख्स की नीयत दूसरे की पतंग को काट कर नुकसान पहुंचाने की होती है जो हदीस की रू से हराम है।
.....................उलेमा-ए-दीन फरमाते हैं कि कोठों पर खड़े होकर पतंग उड़ाने से आसपास के लोगों की बेपर्दगी होती है। कभी-कभी पतंग उड़ाते-उड़ाते पीछे हटते जाते हैं और छत के पीछे गिर जाते हैं। ये जान को हलाकत में डालना है जो आयात कुरआनी में हराम है। हदीस शरीफ में है कि रसूल स. ने ऐसी छत पर सोने से मना फरमाया है जिसमें आड़ न हो।
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चाइनीज मांझा-
चाइनीज मांझे से इंसान ही नहीं बल्कि जानवरों की जिंदगी को भी खतरा है। चाइना से आने वाले मांझे में दो धातुओं की परत चढ़ी होने से हर साल दर्जनों लोगों की जान को खतरा पैदा हो जाता है। लोगों की गर्दनें भी कट जाती हैं। बेजुबान पक्षी व पशु भी इस की जद में आ चुके हैं। इस डोर की धार ब्लेड से ज्यादा खतरनाक होती है। यह मांझा बिजली के तारों पर लटका होने से सरकार को नुकसान पहुंचता है।
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पतंग उड़ाने का चलन बढ़ता जा रहा है। लोग त्योहारों के मौके पर पतंग उड़ाना शान समझते हैं। अब तो पंतगबाजी का मुकाबला भी होने लगा है। इस्लाम में इसे नाजायज करार दिया गया है।
सैयद मासूम अली आजाद, शहर इमाम
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इस्लाम में हर उस चीज की मनाही है जो जान को हलाकत में डालती हो। पंतग व मांझा लूटना जान को हलाकत में डालना है। इस्लाम ने इस तरह कामों को नाजायज व हराम करार दिया है।
मुफ्ती सैयद मुहम्मद इंतखाब हुसैन कदीरी, प्रबंधक मदरसा जामिया कदीरिया
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